समुद्र मंथन के समय महालक्ष्मी ने अवतरण उपरान्त भगवान नारायण का वरण किया। उसी प्रकार، हम हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष अमावस्या पर، दीपावली पुजन के समय अपनी भक्ति चेतना लक्ष्मी-नारायण को समर्पित करते है। ताकि हमारे जीवन की असुर रूपी कठिनाईयां، बुराईयां समाप्त हो सकें। لا شيء ज्ञान व कर्म शक्ति चेतना का संचार किया ، उसी प्रकार हम भी लक्ष्मी को आत्मसात कर पूर्ण व्यक्तित्वमय पौरूष से युक्त हो सकें।
भगवान श्री राम-सीता के बिना पूर्ण नहीं ، वही श्री कृष्ण राधा के बिना अपूर्ण है ، उसी प्रकार माँ लक्ष्मी ने भगवान विष्णु का वरण कर अपने आपको पूर्णता से युक्त किया। ताकि जगत का लक्ष्मीमय विस्तार हो सके। जीवन में माँ लक्ष्मी के अष्ट स्वरूपों को प्राप्त करने के लिये इस वर्ष विशेष योग बन रहा है। रूप सौन्दर्य चर्तुदशी व महालक्ष्मी युक्त दीपावली पर्व एक ही दिवस पर है، इस विशेष योग पर्व पर पूजा، साधना، अभिषेक، हवन की क्रिया कर जीवन को समृद्ध बनाने की चेतना से अभिभूत हो सकेंगे।
. है। इस विशेष साधनात्मक पूजन ، हवन का लाभ लेने के लिये आप कैलाश सिद्धाश्रम जोधपुर सम्पर्क कर पंजीकरण करा कर ही इस शुभ अवसर पर आयें।
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فينيت شريمالي
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