. का जीवन पलट कर रही हैं ، आप सब के सामने ही एक सामान्य सा व्यक्ति समाज में विशिष्ट स्थान ، मान-सम्मान प्राप्त कर रहे हैं ، और वे अपनी सफलता का पूर्ण श्रेय अपने गुरू को व उनसे प्राप्त किये ज्ञान को देते है। आपको उनकी सफलता दिखती है ، उनके जीवन कि चका-चौंध व ऐश्वर्य दिखता है परन्तु उनकी साधना ، तप ، धैर्य नहीं दिखता ، सभी साधकों-शिष्यों को गुरूजी ने तो ज्ञान-चेतना-मंत्र-दीक्षा तो समान दिया है रूप से लाभ नहीं उठाया، उस ज्ञान को अपने अंदर आत्मसात नहीं किया। ! . ، आप तो अपने आप को भुला कर दूसरे के हिसाब से चलने लगे ، दूसरों के दिखाये लक्ष्य को अपना मकसद बना लिया या फिर दूसरों के सुख को देख अपना लक्ष्य बदल दिया। न तो आपके विकारों में कमी आई न ही सुधार। जीवन तो सिर्फ उन्हीं का सही मायने में सफल हुआ जो पूर्ण रूप से शांत मन से अपने गुरू को अपने हृदय में आत्मसात किया।
21 अप्रैल सदगुरू जन्म उत्सव जो प्रत्येक साधक के जीवन का वह अहम दिवस जब हमारे ईष्ट जी ने के उद्धार व हमे वह जटिल ज्ञान को सरल रूप से सभी लिये उपलब्ध कराने हेतु जन्म लिया।
لا شيء बनता है किस्मत से नहीं، विशिष्ट व्यक्ति कर्म करता है، अपने जीवन को कर्मशील व गुरू ज्ञान से ओत-प्रोत व गुरू ज्ञान गंगा को प्राप्त करने आप 21-20-21 अप्रैल को सूर्यग्रहण तेजस्विता निखिलेश्वरानन्द प्राणशः चेतना अवतरण अक्षय धन लक्ष्मी साधना महोत्सव ، भिलाई (CG) में सम्मलित हो।