नवग्रह शांति तृष्टि तथा पुष्टि दोनों के लिये आवश्यक कर्म है। नवग्रह हैं- सूर्य ، चन्द्र ، मंगल ، बुध ، बृहस्पति ، शुक्र ، शनि ، राहु और केतु। प्रत्येक ग्रह मानव जीवन पर विशेष प्रभाव डालते है और यदि कोई ग्रह कुप्रभाव डाल रहा है और उसकी उचित तरीके से ग्रह शांति न करवाई जाये तो जीवन उथल-पुथल भी मच जाती है। किसी-किसी ग्रह का कुप्रभाव तो इतना अधिक होता है ، कि व्यक्ति राजा से रंक बन जाता है। इन्हीं ग्रहों से सम्बन्धित होते हैं ग्रहों के अधिदेवता अर्थात् उनके सहयोगी देवता। मुख्य ग्रहों के पूजन के साथ-साथ इन अधिदेवों का पूजन भी विशेष महत्व रखता है। यदि मुख्य ग्रहों के पूजन के समय इन ग्रहों का भी सही ढंग से पूर्ण रूपेण पूजन नहीं होता है ، तो सफलता की स्थिति कम ही देखने में आती है.
इन अधिदेवताओं के पूजन का महत्व मुख्य ग्रहों के पूजन के समान ही बताया गया है। ؟ उनके मण्डल में विभिन्न देवता कौन-कौन से हैं؟ यह जानना आवश्यक है। इसके अनुसार स्पष्ट होता है ، कि यदि व्यक्ति अज्ञानता वश किसी देव या देवी का पूजन करता है ، तो उसकी ऐच्छिक सफलता संदिग्ध हो जाती है। सिर्फ आधे-अधूरे पूजन से या साधना से किसी भी साधक को सफलता नहीं मिल सकती है ، अपितु इस प्रकार साधना करने पर आपका समय भी व्यर्थ जाता है और धन भी व्यय होता है आपकी समस्या जहां की तहा रह जाती है। . तो वह पूजन या साधना सफल होती है।
إلى جانب عبادة الكواكب التسعة ، من الضروري أيضًا عبادة الآلهة الرئيسية للكواكب. لذلك ، يتم تقديم شرح موجز للإله الرئيس لهذه الكواكب التسعة-
إله- प्रथम ग्रह सूर्य के अधिदेवता ईश्वर को माना गया है। भगवान शिव के विशेष स्वरूप को ईश्वर कहते हैं। वेदों में इन्हें विशुद्ध ज्ञानस्वरूप बताया गया है। ये अपने भक्तों को अतुलनीय ऐश्वर्य प्रदान करने वाले ، अनन्त राशियों के स्वामी हैं। इनके स्वरूप का ध्यान इस प्रकार से करें-
رأس وعنق البجعة هي مغارة كل الكائنات.
सर्व व्यापी स भगवांस्तस्मात् सर्वगतः शिवः ।।
أوما- भगवती उमा द्वितीय ग्रह चन्द्र ग्रह की अधिदेवता मानी गई हैं। उमा को पराशक्ति कहा गया है। उमा पार्वती का ही स्वरूप है। ऋषि श्रेष्ठ भगवती उमा का ध्यान इस प्रकार करते हैं-
الخيط المحوري ، اللوتس ، المرآة والإناء.
उमा विभर्ति हस्तेषु पूजिताः त्रिदशैरपि ।।
سكاندا ديفاتا- الإله الرئيسي للمريخ هو سكاندا كومار. إنه جزء من اللورد شيفا وابن سواها ديفي ، أحد أشكال الأم بارفاتي. هذا هو السبب في أنه يسمى سكاندا كومار. وصف التأمل لشكلهم هو كما يلي-
الشاب ذو ستة وجوه ومزين بقطعة طاووس.
रक्ताम्बरघरो देवो मयूरवरवाहनः ।।
ودجاجة وجرس في يده اليمنى.
पताका वैजयन्ती स्याच्छक्ति कार्या च वामयोः ।।
فيشنو- विष्णु को बुध ग्रह का अधिदेवता माना गया है। पुराणों में विष्णु को सभी देवताओं से श्रेष्ठ माना जाता है। ब्रह्माण्ड के संचालक त्रिदेवों में से ये एक देवता हैं। विष्णु को पालनकर्ता माना गया है। इनका ध्यान इस प्रकार है-
هذا الكون ، بدون بداية أو نهاية ، يقع في ذاته.
सर्वज्ञमगलं विष्णुः सदा घ्यानाद् विमुच्यते ।।
براهما- ब्रह्मा बृहस्पति ग्रह के अधिदेवता है। ये विष्णु के नाभिकमल से उत्पन्न हुये हैं। इनके मुख से निरन्तर चारों वेद उच्चरित होते रहते हैं। इनका ध्यान निम्न प्रकार से है-
أربعة مورافا ، وأربعة أذرع ، وأربعة فيديك ، وعظيم.
चतुर्दशांश्र्च लोकान् च रचयन्तं प्रणमाम्यहम् ।।
إندرا- इन्द्र शुक्र ग्रह के अधिदेवता हैं। ये सन्तुष्ट हो जाने पर समस्त प्राणियों को बल ، वीर्य ، धन-धान्य ، समृद्धि प्रदान करते हैं। इनकी शक्ति अपरिमित मानी गई है। इनका स्वयं का लोक है जहां ये वास करते हैं। इनका ध्यान इस प्रकार से करना चाहिये।
ركب على فيل أبيض وكان ماهرا في الصواعق
सहस्र नेत्रं पीताभमिन्द्रं हृदि विभावये ।।
ياما- यम शनि ग्रह के अधिदेवता माने गये है। यम भगवान सूर्य के पुत्र हैं। इन्हें मृत्यु का देवता भी माना जाता है। इनके स्वरूप का ध्यान इस प्रकार से है-
पाथः संयुतमेघसन्निभतनुः प्रद्योतनस्यात्मजो ، नृणां
والجسد يحمل الخير للأتقياء ويسبب الآلام للخطاة.
श्रीमद्दक्षिणदिक्पतिर्महिषगोभूषांभरालघ कृतो ، ध्येयः
संयमनीपतिः पितृगणस्वामी यमो दण्डभृत् ।।
حقبة- काल राहु ग्रह के अधिदेवता है। संसार के समस्त पदार्थों पर काल का प्रभाव व्याप्त होता ही है। प्रत्येक प्राणी काल द्वारा ही संचालित है। काल की अभ्यर्थना इस प्रकार से की जानी चाहिये-
في نفس الوقت هو حامي العالم ، العقل الكوني المختبئ في كل الكائنات.
यस्मिन् युक्ता ब्रह्मर्षयो देवताश्च तमेवं ज्ञात्वा मृत्युपाशांश्छिनन्ति ।।
شيتراجوبت- चित्रगुप्त केतु के अधिदेवता हैं। चित्रगुप्त प्राणियों के कर्म का जन्म से लेकर मृत्यु तक का लेखा-जोखा करते हैं। चित्रगुप्त का ध्यान इस प्रकार करें-
كان يرتدي ملابس قطنية وذراعان ومظهر لطيف
दक्षिणे लेखनीं चैव इदं वामे च पत्रकम् ।।
يجب على المرء أن يتأمل في Chitragupta مع لحية وردية وشارب وشعر وعينين
साधक को चाहिये ، कि जब वह नवग्रह का स्थापन करें तो उनके अधिदेवता का भी ध्यान अवश्य करें ، जिससे साधक अपनी साधना को पूर्णता दे सकें।
نيدهي شريمالي
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