सूर्य की वजह से ही मनुष्य जीवित है ، पशु-पक्षी ، पेड़-पौधे इत्यादि समूची प्रकृति विकसित एवं चलायमान है.
यदि सूर्य को ग्रहण लग जाय ، तो हवा में कार्बनडाइऑक्साइड गैस की अधिकता हो जाती है ، पेड़-पौधे कुम्हलाने लगते हैं ، सभी चीजें ग्रहण के दुष्प्रभाव से ग्रसित होने लगती है ، इसीलिये ग्रहण काल मनुष्य और प्रकृति दोनों के लिये ही हानिकारक एवं अशुभ माना जाता है।
ولكن بجعل هذا الوقت مناسبًا لك من خلال أنشطة tantrik السحرية ، يمكنك الاستفادة منه آلاف المرات.
. । जो ज्ञानी होते हैं، जो विद्वान् होते है، जो उच्चकोटि के योगी، संन्यासी होते हैं، वे ऐसे क्षणों को चूकते ऐसे क्षणों के लिए प्रतीक्षारत रहते है की अल्पकाल में ही वे अपने मनोरथों को पूर्ण साकार रूप प्रदान करने में सक्षम हो सके।
बड़े से बड़ा तांत्रिक भी इन क्षणों को उपयोग करने से नहीं चूकता، क्योंकि यही क्षण होते है- विशिष्ट तंत्र क्रियाओं में सफलता एवं सिद्धि प्राप्त करने के क्षण होते हैं- अभावों से प्राप्त करने के श्रेष्ठता प्राप्त करने के — और अद्वितीय व्यक्तित्व प्राप्त कर लेने के।
. क्योंकि यह क्षण भी भौतिक और आध्यात्मिक दोनों पक्षों में पूर्णता प्राप्त कर लेने का है ، इसीलिये ऐसे व्यक्ति ، ऐसे साधक या योगी इस क्षण का लाभ उठानें लिये बहुत पहले से ही तैयारी कर देते हैं ، मंत्र जप द्वारा अपने जीवन में सफलता एवं सम्पन्नता प्राप्त कर श्रेष्ठ मानव बन सके।
इस बार शास्त्रों आदि के आधार पर साधनात्मक दृष्टि से यह विशिष्ट दिवस، विशिष्ट क्षण मंगलवार 25 अक्टूबर 2022 है। दोपहर 04 बजकर 29 मिनट पर भूमण्डल पर पुनः सूर्य ग्रहण लगने योग है है तथा 05 बजकर 42 मिनट पर ग्रहण का समापन होगा। ग्रहण का पूर्णकाल 01 घंटा 13 मिनट तक रहेगा। सूर्य ग्रहण के समय यदि साधक '' मुण्डकाली प्रयोग '' को सम्पन्न कर लेता है ، तो उसके चहरे पर व्याप्त दुःख ، निराशा अपने आप ही समाप्त हो जाती है ، क्योंकि यह प्रयोग समस्त मनोरथों की पूर्ति करने वाला जो है। अलग-अलग प्रयोग विधानों की अपेक्षा ، यदि इस प्रयोग को सम्पन्न कर लिया जाय ، तो जीवन से रोग-शोक ، चिन्ता ، बाधा सब कुछ समाप्त होता ही है ، इसमें कोई दो राय नहीं। यह प्रयोग गोपनीय ، दुर्लभ और तीक्ष्ण प्रभावकारी है— खुद ही आजमा कर देख-ग्रहण काल में इस प्रयोग को कार्यों की पूर्ति हेतु सम्पन्न किया जा सकता है-
في الواقع ، من أجل تلبية جميع الرغبات ، إذا أجريت هذه التجربة في هذه اللحظات الخاصة ، فهناك فائدة أكيدة.
طريقة التجربة
साधना सामग्री- काली यंत्र، मनोकामना चैतन्य माला، मुण्ड फल।
प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से नित्य क्रियाओं को पहले से ही सम्पन्न कर लें। साथ ही पीले वस्त्र धारण कर पीले आसन पर अपने पूजा स्थान में पूर्वाभिमुख होकर बैठ जायें। इसके पश्चात् अपने सामने लकड़ी का बाजोट रख कर उसके ऊपर लाल वस्त्र बिछा दे तथा सभी साधना सामग्री को एक जगह एकत्र अपने अपने रख लें सूर्योदय होने पर किसी लोटे में जल लेकर ، उसमे कुंकुम और अक्षत मिला ले और निम्न मंत्र को 3 बार पढ़कर सूर्य को अर्घ्य दें-
इसके पश्चात् अपने आसन पर बैठकर सामने एक प्लेट में काली यंत्र पर कलावा या मौली बांधकर उस पर कुंकुम या लाल चंदन से चार बिन्दी लगाये ، जो कि धर्म ، अर्थ ، काम और मोक्ष की प्रतीक हैं ، फिर यंत्र को प्लेट में स्थापित कर दें। अब अक्षत ، पुष्प ، धूप ، दीप तथा नैवेद्य आदि से यंत्र का पूजन करे। यंत्र की दाहिनी ओर चौकी पर कुंकुम से रंगे चावलों की एक ढेरी बनाकर उस पर '' मंत्रसिद्ध मुण्ड फल '' को स्थापित करें। मुण्ड फल का कुंकुम से तिलक कर अक्षत، पुष्प से पूजन करें।
इसके पश्चात् साधक दाहिने हाथ में जल लेकर अपनी इच्छा की पूर्ति हेतु संकल्प ले और अपने नाम व गोत्र का उच्चारण कर जल छोड़ दें। फिर निम्न मंत्र का ग्रहण काल में मनोकामना चैतन्य माला से जप करें-
بعد ترديد المانترا ، اربط كل المواد بقطعة قماش حمراء منتشرة على الباجوت واغمرها في المياه المتدفقة أي نهر أو بحر في نفس اليوم أو في صباح اليوم التالي. يجب أن يظل البخور والمصباح مضاء طوال فترة السدنة.
यह प्रयोग अपने आप में दिव्य और शीघ्र फलदायी है ، इस ग्रहण काल में जिस मनोकामना की पूर्ति के लिये साधना की जाती है ، वह अवश्य पूर्ण होती है।
यह सूर्य ग्रहण इस वर्ष में पहली बार आया है ، जो अपने आपमें समस्त सिद्धियों को समेटे हुये है ، इसलिये इस क्षण को चूकना ، व्यक्ति के दुर्भाग्य का ही सूचक होगा ، जो इतने बहुमूल्य क्षण को यो ही गवा दे।
तीर्थे शुभे काले पुण्ये वासर एव च
يتم تحقيق الهدف فجأة بترديد المانترا.
पुण्यं सा सिद्धिः सूर्ये च ग्रहणे स्थिते
पंच माला जपाच्चैव सिद्धिर्भवति निश्चितम् ।।
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