. . श्राद्ध ، एकादशाह ، सपिण्डीकरण ، अर्घ्वदैहिक संस्कार ، पिण्डदान ، अशौचादि निर्णय ، कर्मपिताह ، पितृ शांति ، देह शुद्धिकरण आदि कई विधान ، संस्कार सम्पन्न करते हैं। . उत्सव व सर्व सुखों को भोगने के लिये उपयुक्त स्थितियों का समागम होता है व सभी राशि ، सभी नक्षत्र मंगलकारी होते हैं। ، सभी लौकिक सुखों कि प्राप्ति के साथ शारीरिक ، मानसिक एवं आत्मिक सुखों को भोग सके। रजस-तमस-सत्तव के संतुलन को स्थापित कर जीवन कि चेतना को आत्मसात हम इन पर्वों में करने से हमे जीवन एक दिक्षा मिलती है साथ ही मनोबल हमे विजयश्री बनाती है ، सर्व दुःखों का नाश व जीवन को कायाकल्प करने का समय है दुःखों की प्राप्ति कोई नहीं चाहता परन्तु सुखों की प्राप्ति के लिये हमें कर्मशील होना पड़ेगा।
जीवन में कर्मठ होने के लिए शुरूआत आपको ही करनी पड़ेगी। इसी प्रारब्ध के लिये व जीवन में एत गणेश कि प्राप्ति के-रिद्धि-सिद्धि गणपति स्थापन कार्यक्रम का आयोजन ، 31 अगस्त को चंद्रपुर (MH). में सर्व पितृ शांति पूर्णिमा शक्ति धनदा साधना महोत्सव 10-11 सितम्बर को धार (MP)