.। ऊँ र्विष्णु र्विष्णु र्विष्णु श्रीमदभगवतो महापुरूषस्य विष्णो राज्ञया प्रवर्तमानस्य ——————————————– विंशतितमें कलियुगे कलिप्रथम चरणे जम्बूद्वीपे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे ——— अमुकक्षेत्रे ——————————- धारयामि ।।
. सम्पन्न करने की शक्ति व आशीर्वाद प्रदान करे।
हर मंगल व शुभ कार्य को शुरू करने से पूर्व हम यह मंत्र तो अवश्य बोलते है पर मूल या अर्थ को समझने व अपने आत्मसात आत्मसात नहीं करते ، इसको बोलने का मनतव्य सिर्फ इतना है कि हम अपने मूल को (الجذور) ، . . कर FOREIGN جامعة इसे प्रमाणित करती है तो शर्म करने के अलावा और कुछ नहीं कर पाते। यह सब बतलाने का मेरा उद्देश्य सिर्फ इतना है कि हमे कभी भी अपने मूल ، अपनी जड़ों को भूलना या इसका तिरस्कार नहीं करना चाहिये। जो इसे समझ गये वे अपने जीवन में आज भौतिक व आध्यात्मिकता के चरम पर है। मैं आशा करता हुँ आप इसे अवश्य ही समझने का प्रयत्न व अपने भीतर आत्मसात् करने की कोशिश करेंगे। इसी ज्ञान के विस्तार हेतु समय-समय पर शिविरों का आयोजन हो रहा है।
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فينيت شريمالي
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