मुंडन संस्कार का धार्मिक महत्त्व के साथ-साथ विशेष वैज्ञानिक प्रयोजन भी है। आचार्य चरक के अनुसार मुंडन करने से दीर्घायु की प्राप्ति होती है، साथ ही शरीर व मस्तिष्क का शुद्धिकरण होता है जिससे सौंदर्य में भी वृद्धि होती है। हमारे शास्त्रों के अनुसार मुंडन संस्कार करने का मुख्य उद्देश्य है धर्म के प्रति निष्ठा ، बौद्धिक विकास और सौन्दर्य में वृद्धि। मुंडन संस्कार आवश्यक इसीलिये है क्योंकि जब शिशु नौ महिने गर्भ में रहता है तो उसके जन्म के बालों में कीटाणु चिपके की संभावना अधिक होती है ،
इसीलिये जन्म के समय के बालों को हटाना उसके स्वास्थ्य के लिये लाभकारी रहता है। यह संस्कार शिशु-पोषण में सम्मिलित किया जाता है، जिससे उसका मानसिक विकास व्यवस्थित रूप से जारी रहे।
धार्मिक ग्रंन्थों में ऐसा भी लिखा है कि 84 लाख योनियों के बाद मनुष्य योनि मिलती है। ऐसे में पिछले सभी जन्मों के ऋण का पाप उतारने के लिये भी शिशु के बाल हटाये जाते है। इसके अलावा، मस्तिष्क की पूजा करने के लिये भी यह संस्कार सम्पन्न किया जाता है। मस्तिष्क का सर्वश्रेष्ठ उपयोग करना ही बुद्धिमता है। शुभ विचारों को धारण करने वाला व्यक्ति परोपकारी बनता है। अतः मस्तिष्क का सार्थक उपयोग ही चूड़ाकर्म का उद्देश्य है।
وغفران الذنوب هو تطهير الشعر والأظافر والشعر.
हर्षलाघवसौभाग्यकरमुत्साहवर्धनम् ।।
अर्थात् आचार्य सुश्रुत के अनुसार केशादि काटने से पाप नष्ट होते है और हर्ष ، सौभाग्य ، शरीर में हल्कापन तथा उत्साह बढ़ता है।
यह संस्कार शिशु की जन्म कुण्डली के अनुसार या शिशु के जन्म तिथि व समय के अनुसार शुभ मुहुर्त चन्द्रमा चन्द्रमा शुभ होने पर उचित उचित दिवस पर संपन्न करना चाहिये। इसे किसी धार्मिक तीर्थ स्थल या फिर घर में भी किया जा सकता है। इस दौरान पंडि़त मंत्रेच्चारण के साथ हवन क्रिया भी करते है। माता शिशु को गोद में बिठाती है، उसका मुख पश्चिम दिशा में रखती है। निम्न मंत्र के साथ मुंडन प्रारम्भ किया जाता है।
نسل ابني في بحر نونيفارهان في عصر القوة
बुद्धि द्वारा श्री परमेश्वर प्रीत्यर्थ श्रवः करिष्यमाण
طقوس Chudakarma لإنجاز الوصول السابق للطقوس في الليلة الأولى
केशाधिवासनं करिष्ये ।।
इसके पश्चात् गंगाजल से बच्चे का सिर धोया जाता है हल्दी चंदन का पेस्ट लगाकर पूजन के साथ ही उसके सिर पर कुमकुम से स्वस्तिक बनाया जाता है। बालों को लाल कपड़े की पोटली में बांधकर नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है। घर के सभी जन शिशु को आशीर्वाद देते है ، दीर्घायु की कामना करते है।
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