विष्णु ने क्रोध में भर कर कहा، तुम्हारा कर्त्ता तो मैं हूँ، तुम मेरी नाभि से उत्पन्न मेरे ही अंश हो। तुम मेरी शरण में आओ، मैं तुम्हारी रक्षा करूंगा। इस पर दोनों में युद्ध छिड़ गया तभी आकाश में गम्भीर वाणी में ॐ ॐ की ध्वनि हुई और एक लिंगाकार स्वरूप प्रकट हुआ। विष्णु ने उस स्वरूप में भी ॐ आदि अक्षरों को देखा। इस अग्नि सदृश लिंग को देखकर दोनों ही विचार करने लगे ، तभी वहां एक परम ऋषि प्रकट हुए ، उन्होंने शिव महिमा का ज्ञान दिया।
इसलिये श्रावण मास को शिव सिद्धि मास भी कहते हैं ، भगवान शिव का प्रिय यह श्रावण मास प्रत्येक साधक के लिये महत्वपूर्ण माना गया है। जो साधनाओं के क्षेत्र में काल ، मुहूर्त और पर्व विशेष के महत्व को समझते हैं ، उन्हें ज्ञात है ، कि श्रावण मास के सभी सोमवार तंत्र की दृष्टि से अत्यधिक महत्व होता हैं। ये सोमवार भगवान शिव की पूर्ण कृपा प्राप्त करने के दिन होते हैं، जिनमें कोई भी साधक शिव से सम्बन्धित साधना संपन्न कर अपेक्षित लाभ प्राप्त कर सकता है। वेदों तथा पुराणों में लिखित कथाएं कई सारभूत तथ्य लिये हुए होती हैं। ये कथाएं प्रतीक रूप में भी हो सकती है ، और इनकी व्याख्या से ही भगवान की उत्कृष्ट लीला का अर्थ समझ में आता हैं।
वामन पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार भगवान शिव एवं पार्वती जिसका पूर्व में नाम सती था ، मंदार पर्वत पर निवास करते थी। भगवान शिव एवं माँ सती आनन्द प्रेम एवं प्रणय में संसार से दूर एकांत में एक-दूसरे में निमग्न निवास करते थे। . भवन सर्व सुख सुविधाओंमय हों। माँ पार्वती ने कहा कि सारे देवता आपके शिष्य ، आपके आराधक महल बनाकर रहते हैं। आप सबको प्रदान करने वाले हैं और हम स्वयं बेघर होकर रह रहे हैं।
इस पर भगवान शिव ने कहा कि उनके लिये तो एक घर बनाना असंभव कार्य है। क्योंकि उनके पास कोई धन नहीं है ، भगवान शिव ने कहा कि धन के रूप में उनके पास एक पहनने के लिए शेर की खाल है। गले में तीव्र विषधारी कोबरा नाग है। पदम् और पिंगल रूपी सांप उनके कानों के कुण्डल हैं। केवल धनंजय उनके हाथों के कडे़ हैं। इसके अलावा उनके पास ना तो कोई धन है ، ना जमा पूंजी है ، ना स्वर्ण आभूषण है ، ना हीरे-मोती हैं जिससे वे घर का निर्माण कर सकें। यह सुन कर पार्वती अत्यधिक चिंतित हो गई कि बिना घर के वर्षा ऋतु कैसे निकालेंगे। भगवान शिव ने कहा कि चिंता करनें की कोई बात नहीं है ، मेरे पास इस समस्या का एक समाधान है।
हम मंदार पर्वत से जाकर बादलों के ऊपर कैलाश पर निवास करेंगे जिससे हमारी समस्या का समाधान हो जायेगा। बादल हमसे नीचे होंगे और हम बादलों के ऊपर आकाश में। वर्षा ऋतु का प्रारम्भ श्रावण मास से ही पूर्ण रूप से होता है। इसीलिये यह माना जाता है कि वर्षा ऋतु में भगवान शिव द्वारा वर्षा के माध्यम से प्रेम ، रस ، प्रणय ، आनन्द ، इच्छा ، कामना की वर्षा की जाती है।
मूल रूप से शिव पार्वती का युगल स्वरूप ही प्रणय का पूर्णतः स्वरूप है। भगवान शिव अविनाशी एवम् अनन्त हैं और पार्वती द्वारा अपने अलग-अलग जन्मों में अलग-अलग रूपों में जन्म की कथा पुराणों में आती है। हर स्थिति में उन्होंने शिव का ही वरण किया क्योंकि भगवान शिव ही रसेश्वर ، नटेश्वर ، महामृत्युजंय ، अर्द्धनारीश्वर स्वरूप है जिनके रोम-रोम से प्रेम ही झलकता है। सांसारिक रूप में ، विग्रह रूप में शिव-पार्वती के स्वरूप की पूजा शिवलिंग और वेदी के रूप में की जाती है तथा अभिषेक संपन्न किया जाता है। यह अभिषेक पंच द्रव्य मिश्रित जल द्वारा किया जाता है।
. आनन्द के साथ व्यतीत होता है।
. रूपी क्रियाये बरसाते रहते है। क्योंकि पूरी सृष्टि में श्रावण मास की वर्षा ऋतु के प्रभाव से हरियाली छा जाती है ، ठीक उसी तरह सांसारिक जीवन भी हर रूप में हरा-भरा रहे।
श्रावण मास में साधना करने से साधक लक्ष्मीपति، ऐश्वर्यशाली तथा भौतिक सुखों से युक्त होता है।
في شهر شرافان ، السدنة التي تقوم بها الفتيات والشباب تساعدهم في الحصول على العروس والعريس المطلوبين.
श्रावण मास में की गई साधना से निश्चिन्त रूप से अकाल मृत्यु का कुयोग समाप्त होता है और महामृत्युंजय शक्तियों शक्तियों होकर दीर्घायु जीवन प्राप्त करता है।
प्रेम और अनंग के देव शिव ही हैं ، यदि जीवन में प्रसन्नता ، रस ، सौन्दर्य ، आनन्द योग युक्त चेतनाओं की प्राप्ति करना हो तो रसेश्वर शिव की साधना अवश्य करनी चाहिये नियमित रूप से शिव साधना ، शिवलिंग पूजा हो वहां आद्याशक्ति ، गौरी पूजा ، गणपति पूजा ، शौर्य प्राप्ति कार्तिकेय ، ऋद्धि और सिद्धि शुभ और लाभ की प्राप्ति जीवन में होती ही हैं।
Mahadev kuber dhan lakshmi sadhna
जीवन में श्रेष्ठता तो तभी संभव है، जब व्यक्ति का समाज में वर्चस्व हो، जहां उसकी बातों को ध्यान पूर्वक सुना जाता है पूर्वक ग्रहण किया जाता हो और धन से भी सम्पन्न हो धन और सम्मान आदि आज के भौतिक में महत्वपूर्ण एवं आवश्यक है। जो धन से पूर्ण है، उसी का गृहस्थ जीवन सुखमय कहा जा सकता है। क्योंकि धन से ही भौतिक जीवन की अधिकांश व्यवस्था संचालित होती है، बिना धन के आप जीवन के किसी भी पड़ाव को सही रूप में नहीं जी सकते है
इस हेतु भगवान शिव के कुबेराधिपति स्वरूप की साधना करनी चाहिये ، जिससे गृहस्थ जीवन में सुख-समृद्धि ، कुशलता ، वैभव ، ऐश्वर्य ، भोग-विलास के सभी साधन उपलब्ध हो सकें . यह पंच दिवसीय साधना किसी भी सोमवार को स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें ، उसके पश्चात् महादेव कुबेर लक्ष्मी यंत्र व सदाशिव जीवट स्थापित कर निम्न मंत्र 3 माला मंत्र जप अष्ट लक्ष्मी माला से सम्पन्न करे-
بعد انتهاء التأمل ، قدم كل المواد في المعبد أو عند أقدام المعلم.
الوقاية من المرض Mahamrityunjaya Sadhana
श्रावण मास शिव शक्ति का पूर्ण वरद हस्त रूपी आशीर्वाद प्राप्त करने का महापर्व है। इस पर्व पर पूजा ، साधना ، अभिषेक सम्पन्न करने से भगवान शंकर सभी इच्छाओं को पूर्ण करते है। जीवन में शिव शक्ति तत्व प्राप्ति के लिये साधनायें सम्पन्न कर अपने रोम-रोम में शिवत्त्व चेतना को आत्मसात् करना चाहिये। यह पर्व जीवन को सर्व सुखमय अनुकूलता ، सुख ، स्वास्थ्य अनेकों विषमताओं को भष्म कर जीवन महामत्युंजय चेतना से आप्लावित करने का पर्व है।
महादेव शिव महामृत्युंजय के सर्वश्रेष्ठ स्वरूप है، जिसकी साधना कर साधक समस्त रोगों، आकस्मिक दुर्घटनाओं، अकाल मृत्यु आदि के कुयोगों पर पूर्ण विजय प्राप्त करता है। इस साधना को संपन्न करने के लिये महामृत्युंजय यंत्र ، रोग निवारण जीवट और महाकाल माला की आवश्यकता होती है। सोमवार को प्रातः काल स्नान आदि से निवृत होकर शुद्ध होकर साधना में सफलता के लिए गुरूदेव से प्रार्थना करें-
योगीश्वर गुरोस्वामिन् दैशिक स्वरात्मनापर ،
त्रहि त्रहि कृपा सिन्धो، नारायण परात्पर।
تأمل في جاناباتي-
विघ्नराज नमस्तेस्तु पार्वती प्रियनन्दन ،
يا رب مدمر العوائق تقبلني بزهور عطرة وحبوب غير مكسورة
اصنع Om و Swastik على اللوحة الأمامية باستخدام Kumkum. قم بتثبيت Mahamrityunjaya Yantra على Om وتثبيت Jivat للوقاية من الأمراض على الصليب المعقوف. اتخذ قرارًا بأخذ الماء في اليد اليمنى.
Om سوف أنشد تعويذة Mahamrityunjaya لتحقيق الثمار المذكورة في Sruti و Smriti و Puranas من روحي من أجل تحقيق الصحة في جسد هذا (الاسم) من أجل مغفرة جميع الأمراض.
जल को भूमि पर छोड़े व महामृत्युंजय शिव का ध्यान करें-
Mrityunjaya Mahadeva ، مانح كل ثروة طيبة
يا رب العوالم الثلاثة الشيخوخة هي الوحيدة التي تلد.
بعد هذا ترنيمة مسبحة واحدة من المانترا التالية من محاكال مالا لمدة خمسة أيام-
عند الانتهاء من Sadhna ، قدم جميع المكونات في معبد Shiva.
حظا سعيدا لرب البيت يزيد من سادهانا
भगवान शिव-माता गौरी की साधना गृहस्थ साधकों के लिये अत्यंत उपयोगी है ، क्योंकि भगवान शिव समस्त बाधाओं का निराकरण करने में समर्थ हैं। पूर्णतः निर्लिप्त ओर निराकार होते हुये भी भगवान शिव पूर्ण गृहस्थ है، इसी कारण एक और जहां वे योगियों के इष्ट है वहीं दूसरी ओर गृहस्थों के भी आराध्य देव हैं। भगवान शिव तो पूर्ण गृहस्थ स्वरूप हैं भगवान शिव की आराधना प्रत्येक वर्ग करता-गृहस्थ साधक इस कामना के साथ उसे पूर्ण रूप से गृहस्थ सुख प्राप्त होता है।
वर्तमान परिदृश्य को देखते हुये यह कहना पड़ रहा है कि गृहस्थ जीवन सामाजिक दृष्टिकोण से असफल बनकर रह गया है। दिन-प्रतिदिन स्थितियां भयावह हो रही है ، वासना युक्त कार्यो में संलिप्तता बढ़ती ही जा रही है ، जिससे अनेक गृहस्थ जीवन दूषित होने की स्थिति में पहुँच चुके है। . ही छत के नीचे जिन्दगिया अलग-अलग रास्ते अपना लेती हैं। इस सामाजिक परिवर्तन में सबसे अधिक विवाहित स्त्रियों का ह्रास होता है ، उन्हें शारीरिक व मानसिक दोनों तरह की यातनाओं को सहना पड़ता है ، प्रत्येक स्त्री के मन में डर रहता है ، कहीं उनके गृहस्थ जीवन मे कोई अनहोनी ना घट जाये।
यह साधना गृहस्थ जीवन को सुदृढ़ता ، प्रेम ، सद्-व्यवहार ، सम्मान ، अपनापन ، सौभाग्य से पूर्ण होने की आंकाक्षा रखती हैं ، साथ ही जो अपने गृहस्थ को सुचारू रूप से व्यतीत कर रहे हैं ، क्योंकि वर्तमान में अपना जीवन सुरक्षित करना भी अत्यन्त आवश्यक है، साथ ही पति का दीर्घायु जीवन ही स्त्री के लिये सबसे बड़ा वरदान है।
من أجل تشرب قوة حياة اللورد ساداشيف ماهاديف والأم جوري ، من الضروري أن يقوم الزوج والزوجة معًا بممارسة روحية. في أي يوم اثنين ، بعد عبادة Shivgauri Yantra و Saubhagya Shakti Jeevat ، قم بترديد المانترا المذكورة أعلاه بانتظام لمدة سبعة أيام مع جولتين من Shiv-Gauri Mala.
في اليوم الأخير ، بعد الانتهاء من ترديد المانترا ، قدم جميع المواد للمعبد أو عند أقدام المعلم.
أنا شيفا ، مدمرة كل الشرور ، سادهانا
जीवन की तीन महाशक्तियां इच्छा، ज्ञान और कर्म का पूर्ण प्रभाव मनुष्य के प्रारब्ध पर निर्भर होता है। जिसे भाग्य कहा गया है ، जब ज्ञान ، कर्म और भाग्य का संयोग होता है तो व्यक्ति निश्चय ही अपने जीवन में बाधाओं से मुक्ति पाकर भौतिक एवं आध्यात्मिक दोनों पक्षों को उज्ज्वल कर लेता है। जीवन तो सभी व्यक्ति जीते है लेकिन भाग्य का संयोग सभी के साथ नहीं बनता। जीवन में अनेक पक्ष होते हैं، प्रत्येक पक्ष को साध लेना सरल कार्य नहीं होता है। निरन्तर क्रियाशील रहने पर एक स्थिति में सफलता मिलने के बाद दूसरी स्थिति में सफलता पाने की चुनौती सामने आती है ، तब ही जीवन में सुश्रेष्ठता आती है। जीवन में धन ، स्वास्थ्य ، पारिवारिक सुख ، शत्रु बाधा निवारण ، समाज में सम्मान ، संतान सुख स्वरूप अनेकों कामना पूर्ति का भाव रहता है।
इस साधना की मूल शक्ति शिव और मां गौरी लक्ष्मी है، क्योंकि उन्हें सौभाग्य शक्ति कहा गया है और सौभाग्य जाग्रत होने पर कर्म प्रभाव प्रकाशिनी लक्ष्मी तत्व पूर्ण रूप से सक्रिय हो पाता है। इस साधना में माता गौरी को आधार बनाकर सर्व दुर्गति नाशिनी की क्रिया पूर्ण की जाती है जो अपने वरदायिनी स्वरूप में जीवन को धन ، ऐश्वर्य ، सुख-सम्पन्नता ، संतान सुख ، कार्य व्यापार वृद्धिमय चेतना से आप्लावित करती है। एक प्रकार से यह साधना महालक्ष्मी स्वरूप में पूर्ण कृपालु स्वरूप है।
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بعد الانتهاء من ترديد المانترا ، يجب على جورو وشيفا أداء الآرتي. في اليوم التالي نقدم جميع المكونات في معبد شيفا أو عند أقدام جورو. إن سادنا هذا من تدمير مآسي الحياة وتحقيق كل ثروة طيبة هو أمر مثمر.
Mahakal Shiva-Gauri Sahastra Lakshmi Deeksha
श्रावण मास एक ऐसा पावन पर्व है जो सांसारिक गृहस्थ जीवन को सर्व सौभाग्यमय शक्ति से आपूरित करता है। इस पर्व पर मन की शुद्धि और पापों के शमन के लिये सदाशिव महादेव व माता गौरी की आराधना की जाती है। भगवान शिव समस्त स्वरूप में कल्याण और शांति प्रदान करने वाले देव है ، वे रूद्र स्वरूप में मलीनताओं को भष्म करते है। महाकाल स्वरूप में कालरूपी स्थितियों का हरण करते है तो वहीं आशुतोष स्वरूप में शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्त की सभी मनोकामनायें पूरी करते है। भगवान शिव के तीन नेत्र सूर्य، चन्द्रमा तथागत अग्नि के प्रतीक है। वे भूत वर्तमान और भविष्य के नियन्ता है। भगवान शिव एक मात्र ऐसे देव है। जिनकी उपासना देव मनुष्य असुर सभी करते है और अपनी सभी मनोकामनायें पूर्ण कर पाते है।
श्रावण मास सांसारिक गृहस्थ जीवन में अखण्ड सुहाग व संतान सुख की वृद्धि हेतु पूजन और अभिषेक करते है साथ ही युवतियां ، सुन्दर ، बलिष्ट कामदेव अनंग शक्ति युक्त वर प्राप्ति के लिये भगवान शिव और माता गौरी की आराधना करती है। वही शिव परिवार की अभ्यर्थना हमारे गृहस्थ जीवन को रसमय बनाने में सहायक है। . रूपी कुस्थितियां समाप्त हो सकेगी और शिव परिवार धन धान्य ، पुत्र-पौत्र वृद्धि ، यश ، दीर्घायु जीवन ، सन्तान सुख ، धन लक्ष्मी ، अखण्ड सुहाग सौभाग्य आदि अनेक सुस्थितियों का जीवन में विस्तार हो सकेगा।
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