प्रत्येक फेरे का अपना अलग महत्व होता है ، उसका अपना अलग दायित्व होता है। प्रत्येक फेरा जीवन के विविध आयामों को लिये होता है ، प्रत्येक फेरे में भविष्य के प्रति कर्तव्य तथा पति-पत्नी के दायित्वों के विषय में बताया गया है ، वैवाहिक जीवन की मर्यादा ، उसकी उच्चता के विषय में बताया गया है।
विवाह अत्यन्त पवित्र बंधन है، जिसका यदि पूर्णता के साथ निर्वाह पति-पत्नी करते हैं उन्हें जीवन का आनन्द ढूंढ़ने के लिए अन्यत्र कहीं और नहीं जाना पड़ता है। विवाह के पश्चात् वे अलग-अलग व्यक्तित्व न रहकर एक ही बन जाते हैं، क्योंकि वे एक-दूसरे से मानसिक रूप से से जुड़े हुए-दूसरे के सुख-दुःख में भागीदार होते हैं है।
प्रायः देखा जाता है कि विवाह के कुछ महिनों बाद तक तो स्थिति ठीक रहती है ، खूब प्रेम दर्शन होता है ، लेकिन यह आपसी आकर्षण उस वक्त समाप्त होने लग जाता है ، जब उनकी कमियां सामने आने लगती हैं ، तब आपस में साम × जस्य की कमी होने लगती है، आपसी विश्वास डगमगाने लगता है। फलतः वे अपनी कमियों को स्वीकार नहीं करके सामने वाले को नीचा दिखाने के लिये प्रयत्नशील होने लगते हैं।
कोई भी स्त्री या पुरूष सर्वगुण सम्पन्न नहीं होता है ، फिर भी कोई दूसरे की कमियों को स्वीकार नहीं कर पाता। स्वयं तो आगे बढ़कर कुछ नहीं करता ، लेकिन सामने वाले से अपेक्षा रखने लगता है ، कि वह उसके प्रति उसी प्रकार से प्रेम युक्त हो ، जैसे अब तक था। फिर दोनों अपने कर्तव्यों को भूलकर एक-दूसरे के कर्तव्यों को याद दिलाने लगते हैं।
परन्तु उनकी समस्या का समाधान नहीं होता ، क्योंकि वे अपने-अपने वचनों को ، जो उन्होंने फेरे के समय एक-दूसरे के प्रति लिये थे ، भूल जाते हैं। उनकी यही भूल उनके जीवन की प्रमुख पारिवारिक समस्याओं के रूप में उभरने लगती है। . हैं، कि एक-दूसरे के विषय में मर्यादाओं की सीमा का भी उल्लंघन कर जाते हैं।
वर्तमान समय में असफल वैवाहिक जीवन के विषय में लोगों की उदासीनता ही प्रमुख कारण बन रही है परिवार के बिखराव की। जिन लोगों ने विवाह के पवित्र बंधन को मजाक बना लिया है، यदि वे थोड़े धैर्य से काम लें، तो उनका पल-पल क्षीण होता हुआ सम्बन्ध स्थिर हो सकता है। यदि पति-पत्नी उम्र भर विवाह के समय लिये सात फेरों को याद रखें ، तो वे एक-दूसरे की मर्यादा का ध्यान रखेंगे ही ، एक-दूसरे के प्रति विश्वास बनायेंगे ही। जब वे अपने कर्तव्यों का निर्वाह भली प्रकार से करेंगे ، तो फिर समस्या कोई हो ही नहीं सकती।
. गंभीर रूप धारण कर सकती हैं، आपके आपसी सहयोग से، वैचारिक मतैक्य से स्वतः समाप्त हो जायेंगी।
نقدم هنا بعض الكلمات من وجهة النظر الروحية ، والتي من خلالها يمكنك الالتزام والقيام بعمل بناء حياة زوجية سعيدة-
पति-पत्नी का सम्बन्ध भावनात्मक होता है ، उनमें लड़ाई-झगड़े होते ही रहते हैं ، पर आप अपने मन में गांठ मत बांधिये। बातचीत अगर आप ही प्रारंभ कर देंगे، तो ज्यादा उचित रहेगा। प्रेम ही वह प्रथम फेरा है ، जिसका पालन आपको पूर्ण रूप से करना पड़ेगा और यदि आप ईमानदारी के साथ इसे अपने जीवन में शामिल कर लेंगे ، तो अवश्य ही अपने आपसी तनावों और गलतफहमियों को समाप्त करने में सफल होंगे।
जब भी आपके मध्य लड़ाई-झगड़ा हो ، तो एक-दूसरे के लिये समय निकाल कर बातचीत करिये। यदि आपके द्वारा बातचीत करने पर भी माहौल सामान्य नहीं हो रहा हो या आये दिन इस प्रकार की घटना घटती रहती हो ، तो निम्न प्रयोग को अपने जीवन में उतारें ، जिससे आपस में प्रेम-
قم بتثبيت Sadyojat Gutika على قطعة قماش بيضاء يوم الاثنين.
ارتدي ملابس بيضاء بنفسك. قم بترديد المانترا التالية يوميًا أمامه 11 مرة.
قم بهذه التجربة لمدة سبعة أيام. قم بتدفق الحبيبات في النهر في اليوم التالي بعد انتهاء التجربة.
अगर आप पत्नी है और अनेक गुणों से युक्त हैं ، लेकिन मन में पति के ऊपर शासन करने की भावना रखती हैं ، तो आपके समस्त गुण ، अवगुण दिखाई देने लगेंगे। पति भी अपने समान ही आपसे भावनाओं का सहयोग चाहता है ، प्रत्येक बात में एहसास दिलाना ، कि मैं अत्यन्त गुणी हूँ ، व्यवहार कुशल हूँ ، चतुर हूँ ، उसके बाद आप उनसे कितना भी प्यार करें ، फिर भी आप उन्हें स्वयं की ओर आकर्षित नहीं कर सकेंगी।
आप भले ही अन्य लोगों की दृष्टि में अत्यन्त प्रिय ، रूपवती हों ، लेकिन पति आपको किसी तानाशाह से कम नहीं समझेगा धीरे-धीरे वह स्वयं के चारों ओर एक घेरा बना लेगा ، जिसमें आपका भी प्रवेश वर्जित हो जायेगा।
अतः आपको चाहिये ، कि तानाशाही की अपेक्षा मित्रवत् व्यवहार करें ، फिर देखिये ، आपके वो भी किस प्रकार से सारी दुनिया से अलग हो ، आपके सच्चे मित्र बन जायेंगे।
यह बात सिर्फ पत्नी के लिये ही नहीं है ، अपितु पति को भी समझनी चाहिये ، कि वह हिटलर की अपेक्षा मित्र बना रहे ، आपसी मित्रता आपको अनेक प्रकार की समस्याओं का समाधान प्रदान कर सकती है।
फिर भी आपके द्वारा समझाने पर भी आपकी पत्नी समझ नहीं रही है ، तो आप यह प्रयोग सम्पन्न करें।
गृहस्थ सुख प्राप्ति गुटिका को बुधवार के दिन पीले रंग के वस्त्र पर، कुंकुम से निम्न मंत्र लिख कर، गुटिका स्थापित करें।
قم بترديد المانترا التالية 9 مرات يوميًا لمدة سبعة أيام أمام جوتيكا-
بعد انتهاء التجربة ، دع Gutika يتدفق في النهر.
साधरणतया आपसी लड़ाई-झगड़ों के बाद पति-पत्नी आपस में मौन धारण कर लेते हैं। पहले यह मौन कुछ समय का होता है ، लेकिन धीरे-धीरे जब मौन लम्बे समय तक रहने लगे ، तो पति-पत्नी के मध्य वैचारिक सम्बन्धों में इतनी बड़ी खाई बनने लगती है ، कि समय भी उसे समाप्त नहीं कर पाता। अतः जब ऐसी स्थिति दिखाई दे، तो मौन धारण करने की अपेक्षा आपस में हास-परिहास कर वातावरण को अनुकूल बनायें।
- पत्नी के मध्य तृतीय व्यक्ति को प्रवेश का अवसर मिलेगा — और फिर पूरा का पूरा पारिवारिक जीवन ही विच्छिन्न होने की स्थिति बन जायेगी।
आपसी सामञ्जस्यता स्थापित करना कठिन नहीं है، यदि पति-पत्नी आपस में समझदारी से कार्य करें। लेकिन किसी एक ने प्रयास किया सहज होने का ، तो दूसरे व्यक्ति की ना समझी से यह सहज होने वाली क्रिया दुष्कर हो जाती है।
फिर भी आप चाहें ، तो इस प्रयोग के माध्यम से इसे सहज बना सकते हैं-
قم بتثبيت Saumanasya Gutika على قطعة قماش بيضاء يوم الجمعة.
قم بترديد المانترا التالية 21 مرة أثناء تقديم حبوب الأرز باللون الأحمر على Gutika-
قم بهذه التجربة لمدة 5 أيام. بعد خمسة أيام ، اربط جوتيكا بقطعة قماش واربطها بشجرة بيبال.
. भले ही वह आपके समक्ष अपने वास्तविक प्रेम का प्रदर्शन कर रहा हो، लेकिन आप उस प्रेम का एहसास नहीं कर पायेंगे और भी अधिक संशयग्रस्त हो जायेंगे। अतः एक दूसरे के प्रति किसी भी प्रकार की धारणा बनाने से पहले यह अवश्य देख लें ، कि जो आपके मन में संदेह उत्पन्न कर रहा है उसका कोई स्वार्थ तो नहीं। अतः ऐसी धारणाये अपने मन से निकाल कर गृहस्थ जीवन को अपने अनुकूल बनावें।
पति-पत्नी के सम्बन्धों की नींव पूर्ण विश्वास पर ही तो आधारित होती है। यदि इस नींव की एक ईंट भी खिसक गयी ، तो आपका वैवाहिक जीवन डगमगाने लगेगा। अपने मध्य विश्वास स्थापित करने के लिये अग्नार्क गुटिका को ताम्रपत्र में कुंकुम से स्वास्तिक बनाकर रविवार के दिन स्थापित करें।
قم بترديد المانترا التالية أمام Gutika 3 مرة يوميًا لمدة 18 أيام-
आप कितने ही व्यस्त हो ، पर कुछ समय पत्नी के साथ अवश्य बिताइये ، क्योंकि यह आपके गृहस्थ जीवन को मधुर बनाने की कुञ्जी है।
अत्यधिक व्यस्तता के बाद भी पत्नी का पूरा दिन इसी इंतजार में कटता है، कि कुछ क्षण आपके साथ मधुरता से बीतेंगे जब उसे ये क्षण नहीं मिलते उसका दुःख कभी झुंझलाहट के रूप में، कभी गुस्से के रूप में के रूप में निकलता है। अतः पति को चाहिये व्यापार या नौकरी के व्यस्ततम क्षणों में से कुछ मधुर क्षण पत्नी के साथ गुजार ले। ऐसे में पति भी अपने कार्य के तनाव से बाहर निकल आता है और पुनः स्फूर्तिवान बन कर उन तनावों से जूझने के लिये प्रयासरत हो जाता है।
यदि फिर भी आपको मधुराता की कु × जी नहीं मिल पा रही है ، तो शुक्रवार के दिन माधुर्य गुटिका पर यदि हो ، तो पति का नाम और यदि साधक हो ، तो पत्नी का नाम लिख कर उस पर जल तथा दूध मिला कर 21 बार मंत्र जप करते हुये चढ़ायें-
أكمل هذه التجربة لمدة سبعة أيام. بعد سبعة أيام ، دع الجوتيكا يتدفق في النهر.
वर्तमान युग में पत्नी न सिर्फ खाना पकाने या बच्चा पैदा करने के लिये होती है बल्कि पति व्यवहारिक रूप से भी उससे सहयोग चाहता है। वह चाहता है कि वह उसकी सहयोगिनी बने ، न कि सिर्फ घर के कार्यों में ही उलझी रहे।
कुछ स्त्रियों की आदत होती है، कि वे अपने पति को दुनिया का सबसे बेकार इन्सान समझती हैं। पति उनके लिये कुछ भी करे، उनके मुंह से हमेशा ताने ही निकलते हैं। उन्हें अपने पति की भावनाओं का आदर करने के स्थान पर उनको फटकारना ، उपहास का पात्र बनाना ही अच्छा लगता है। ऐसा व्यवहार करके वे स्वयं को अत्यन्त वीर समझती हैं। फिर ऐसी पत्नी के साथ पति से सहयोग पूर्वक चल सकेगा؟
अतः पत्नी को चाहिये ، कि वह पति की इच्छाओं व भावनाओं का आदर करें ، उसके प्रति सहयोग की भावना स्थापित करे ، जिससे परिवार में कलह का वातावरण न बनकर सहयोग का वातावरण निर्मित हो सके।
لزيادة الشعور بالتضحية يمكن للزوج وكلاهما إتمام هذه التجربة-
اكتب اسمك واسم زوجتك على Kleen Yantra مع الزعفران في يوم اكتمال القمر.
قم بترديد المانترا التالية سبع مرات أمام Yantra لمدة 11 يومًا-
في اليوم التالي دع نهر جوتيكا يتدفق في النهر.
ज्यादातर स्त्रियों में आदत होती है ، कि वे अपनी तथा अपने पति के मध्य हुई छोटी-छोटी बातों को भी अपने ، पिता ، भाई ، बहन ، या अपनी बहुओं और बेटियों से कहती है। यह कार्य ऐसा होता है، जो आपको हास्य का विषय बना देता है। आप एक समझदार पति-पत्नी की तरह आपस के झगड़ों को बहुओं तथा बेटियों से न कहें ، जिसकी वजह से तनाव का आरम्भ हुआ। आप अपने परिवार में सम्मानजनक व्यक्तित्व हैं، अपने झगड़ों को चौराहे पर लाना अपने सम्मान की क्षति करना ही है। यदि आप सम्मान चाहते हैं ، तो अपने झगड़ों को अपने मध्य ही सुलझा लीजिये ، जिससे आपका सम्मान बना रहे तथा परिवार के अन्य सदस्यों के मन में आपका सम्मान भी स्थिर रहे। इस प्रकार से आपस में एक दूसरे के प्रति समर्पण की भावना ही बलवती होती है।
. मंत्र का 21 बार जप कर गुटिका को रख दें-
في نهاية التجربة ، دع الحبيبات تتدفق في النهر.
. उनके मध्य में पालन होने लगेंगे।
उनके मध्य का तनाव ، कड़वाहट ، खिंचाव का वातावरण समाप्त होकर मधुरता एवं उल्लास का वातावरण निर्मित होगा। उत्तम गृहस्थ वही होता है जहां पति-पत्नी आपस में सहयोग पूर्ण व्यवहार कर आने वाली प्रत्येक समस्या से छुटकारा पा लेते हैं। ये प्रयोग गृहस्थ जीवन में मुस्कुराहटें भरने के लिये ही तो यहां प्रस्तुत किये गये हैं।
نيدهي شريمالي
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