इसके पश्चात् उसकी जिम्मेदारी होती है कि वह अपने जीवन को सार्थक करते हुए बचे हुए समय में ईश्वर का ध्यान लगाये। जीवन के सत्य को، उसके महत्त्व को، उसकी सार्थकता का विश्लेषण करे। इसलिये सन्यास संस्कार का धार्मिक दृष्टि से तो महत्त्व है ही साथ ही यह जीवन को जानने के लिये भी आवश्यक है। सन्यासियों के अनुभवों का ही परिणाम है कि आज हम धर्म ، शास्त्र ، पाप-पुण्य आदि का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं ، इन्हें जान सकते हैं।
सन्यास संस्कार भी विधिपूर्वक सम्पन्न किया जाता है। . गुजारने का संकल्प लेता है। वैसे तो सन्यास संस्कार 75 वर्ष की आयु में किया जाता है लेकिन यदि किसी में संसार के प्रति विरक्ति का ، वैराग्य का भाव पैदा हो जाये तो वह किसी भी आयु में सन्यास ले सकता है। यज्ञ में पूर्णाहुति देकर वह यश، सन्तान तथा धन की लालसा को त्यागने और सदैव भिक्षाचरण करने का संकल्प करता है।
सन्यास संस्कार हो जाने पर सन्यासी हाथ में दण्ड और पात्र / कमण्डलु लेकर ، गैरिक वस्त्र पहनकर सदैव घूमता रहता है और समाज को ज्ञान वितरण करता है। स्वामी विवेकानंद ने भी सन्यास संस्कार ग्रहण किया था ، सन्यास लेने के बाद दस वर्ष तक देश भर में वे भ्रमण करते रहे। उन्होंने नियम बनाया था कि किसी से कुछ मांगेगे नही। यदि कुछ अपने आप मिल जाता तो ग्रहण कर लेते थे अन्यथा भूखे ही सो जाते थे। सन्यासियों के लिये नियम है कि वे अपरिग्रह का कठोरता से पालन करें अर्थात् जितना आवश्यक हो उतना ही अपने पास रखें। सन्यासी के लिये खानपान ، बोलचाल ، उठने-बैठने ، सोने-जागने ، लोगों से मिलने-मिलाने आदि के भी बहुत कठोर नियम होते हैं। यह सब उनमें वैराग्य का भाव बढ़ने के लिये होता है।
वर्तमान युग में यह संस्कार सामान्य मनुष्यों के जीवन से लुप्त हो गया है और केवल मठों या आश्रमों में रह गया है। पहले के समय में सन्यासी का सम्मान राजा से बढकर होता था क्योंकि उन्हें बहुत ज्ञान होता था ، सन्यासी न किसी से प्रेम करता था न घृणा और न ही किसी से द्वेष रखता था। अधिकतर लोग सन्यास तो ले लेते हैं ، लेकिन सन्यासी जीवन के सख्त नियमों का पालन नहीं कर पाते क्योंकि सन्यासी की राह बहुत कठिन व दुर्गम है।
إلزامي للحصول عليها جورو ديكشا من الموقر Gurudev قبل أداء أي Sadhana أو أخذ أي Diksha أخرى. الرجاء التواصل كايلاش سيدهاشرام ، جودبور من خلال البريد إلكتروني: , واتساب, الهاتف: or إرسال طلب سحب للحصول على مواد Sadhana المكرسة والمفعمة بالقداسة والمقدسة والمزيد من التوجيه ،
شارك عبر: