इस सत्य को धारण करो कि भगवान न पराये हैं ، न तुमसे दूर हैं और न दुर्लभ ही हैं।
मनुष्य देखने में कोई रूपवान ، कोई कुरूप ، कोई साधु ، कोई असाधु दिखाई पड़ते हैं ، परंतु उन सबके भीतर एक ही ईश्वर विराजते हैं ، इसी हेतु शिष्य को सभी में ईश्वर का दर्शन करना है।
दुष्ट मनुष्य में भी ईश्वर का निवास है ، परंतु शिष्य को उसका संग करना उचित नहीं है।
शिष्य को उन लोगों से दूर रहना चाहिये जो उपासना का मजाक उड़ाते हैं ، धर्म तथा धार्मिक ग्रन्थों की निन्दा करते हैं।
لا يجب أن تخاف التلميذة من مايا لأنها ستهرب على الفور عندما يتم التعرف عليها.
जैसे दूध से मक्खन निकालने के लिये मथना पड़ता है ، उसी तरह शिष्य को ईश्वर को जानने के लिये साधना सम्पन्न करनी पड़ती है।
मन सफ़ेद कपड़े की तरह है ، इसे जिस रंग (चिंतन) में डुबोओगे वही रंग चढ़ जायेगा ، इसी हेतु शिष्य को हमेशा सकारात्मक चिंतन ही करना है।
التلميذ الحقيقي لا يهدف إلى أي عمل خارجي للمعلم. إنه يطيع أوامر المعلم فقط ورأسه منحني.
जब मन नाना प्रकार के संकल्प، विकल्प करने लगता है، तब शिष्य को विचार रूपी अंकुश से द्वन्द्व पर प्रहार कर मन को स्थिर करना चाहिये।
يجب أن يحب التلميذ المعلم كثيرًا لدرجة أن دموع الحب تخرج من عينيه بمجرد أن يسمع كلمة جورو.
يجب أن يستمر التلميذ في ممارسة التمارين الروحية بصبر ، وسيتحقق النجاح بالتأكيد في الوقت المناسب.
إلزامي للحصول عليها جورو ديكشا من الموقر Gurudev قبل أداء أي Sadhana أو أخذ أي Diksha أخرى. الرجاء التواصل كايلاش سيدهاشرام ، جودبور من خلال البريد إلكتروني: , واتساب, الهاتف: or إرسال طلب سحب للحصول على مواد Sadhana المكرسة والمفعمة بالقداسة والمقدسة والمزيد من التوجيه ،
شارك عبر: