शर्म मृत नहीं होता ، किसी विशेष 'वाद' की चट्टान पर कपड़े धोते रहने से कपड़े उजले नहीं होते ، केवल 'हिन्दू' या 'मुस्लिम' शब्द उछालने से भी धर्म का चिन्तन नहीं हो सकता।
जिसमें प्राण तत्व नहीं ، जिसमें रस नहीं ، जिसमें चेतना नहीं ، वह धर्म नहीं हो सकता ، मुर्दा समूह को धर्म नहीं कहा जा सकता ، हिन्दुत्व की लाश हर क्षण कन्धो पर ढोते रहने से भी हिन्दुत्व की रक्षा नहीं हो सकती।
धर्म एक गुण है ، एक सहज प्रवाह है ، एक खिलखिलाहट है ، एक मुस्कराहट है ، एक जीवन्तता और चेतना है ऐसा गुरु ही हो सकता है ، इसीलिये तो 'गुरु त्ंव धर्मः' कहा है।
يكمن حزني في حقيقة أن دينك قد قيدك وأنت تبكي من العبودية.
मेरी वेदना इस बात में है ، कि तुमने इस बंधन को अपनी नियति मान लिया है ، एक लबादे की तरह इसे ओढ़ लिया है ، जिससे तुम्हारी सांस घुटने लगी है।
मेरी वेदना इस बात की है ، कि मेरे शिष्य ، विषाद के एक गहरे सागर में डूबते-उतराते हिचकोलें खा रहे हैं धर्म ने तुम्हें पीड़ायें दी है ، वेदना दी है ، कफ़न की तरह तुम पर ढक गया है और तुम्हें मुर्दा बेजान बना दिया है।
वेदना इस बात की है कि धर्म ने ، समाज ने और तुम्हारे परिवार ने तुम्हारी हंसी छीन ली है ، तुम्हारी मुस्कराहट गिरवी रख ली है ، तुम्हारी खिलखिलाहट सरे आम नीलाम कर ली है। - हल्की फ़ुहार है।
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