आयुर्वेद शास्त्र यूं तो आयु का विज्ञान (علم الحياة) है तथापि आयुर्वेदज्ञ ऋषि-मनीषियों ने नव समुदाय को वनस्पति जगत के के ، फूल ، कन्द ، मूल ، शाक सब्ज़ी ، धान्य आदि के गुण ، धर्म स्वभाव और उपयोग के बारे में भी बहुत प्रामाणिक، तात्विक और उपयोगी जानकारी प्रस्तुत की है जो आज भी सही और विज्ञान की कसौटी पर खरी सिद्ध होती है।
गुलाब सारे भारत में पैदा होता है और इसका परिचय देना जरूरी नहीं। यह फूल गहरा लाल सुर्ख، हलका गुलाबी، हलका पीलापन लिये और सफेद रंग में होता है। इसके पौधे घर की फुलवारी ، बाग-बगीचों में लगाये जाते है जो 5 से 7 फीट तक ऊंचे होते हैं। इसकी शाखायें कांटेदार होती हैं तथा पत्ते अनीदार होते हैं।
المئوية الشباب بأذنين وأربعة شعر.
महाकुमारी गन्धाढ्या लाक्षापुष्पाऽतिमञ्जुला ।।
الثلج المئات بتلة يتقبل القلب والحيوانات المنوية خفيفة.
दोषत्रयास्त्र जिद्वर्ण्या कट्वी तिक्त च पाचनी ।।
भाषा भेद से नाम भेद- संस्कृत-शतपत्री ، हिन्दी- गुलाब ، मराठी-गुलाबांचे फूल ، गुजराती-मोशमी गुलाब ، बंगला-गोलाप ، तैलुगु-गुलाबीपुवु ، तामिल-गोलप्पु ، इराशा ، कन्नड़-चेवडे़ ، फारसी-गुले सुर्ख ، गुले गुलाब ، इंगलिश-रोज
संस्कृत भाषा में गुलाब के कई गुणवाचक नाम हैं। यथा-शतपत्री अनेक पंखुडि़यों वाला ، तरूणी-सरस होने से ، कर्णिका-कान के समान बड़े पुष्पदल वाला ، चारू ، केशर-सुन्दर ، केशर वाली ، लाक्षा-लोहित रंग वाला ، गन्धाढ्या-सुगन्धित ، सफेद गुलाब-सादा गुलाब।
روز خصائص الدين- गुलाब के फूल शीतल ، हृदय को प्रिय ، हलके ، वर्ण रंग को उत्तम करने वाले ، रस में कड़वे व चरपरे ، पाचक और तीनों दोषों वात ، पित्त ، कफ तथा रक्त-विकार को नष्ट करने वाले हैं।
يستخدم- इसका उपयोग माला बनाने ، गुलदस्ता सजाने और सुन्दर सजावट के लिए तो किया ही जाता है साथ ही घरेलू चिकित्सा के में गुणकारी घटक द्रव्य के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग गुलकन्द ، गुलाब शर्बत ، गुलाब इत्र और गुलाब जल बनाने में किया जाता है। रस، रक्त आदि धातुओं की शुद्धि व वृद्धि करने के लिए، पाचन शक्ति बढाने، त्वचा का रंग साफ करने، मुखपाक होने पर चिकित्सा करने में किया जाता है।
गुलाब को पानी में डाल कर इस पानी से स्नान करके शरीर दुर्गन्ध दूर करने में इसका उपयोग होता है। इसके सेवन से शरीर में विटामिन सी की कमी दूर होती है। इसके ताजे फूल सारक और सूखे फूल कब्ज़ नाशक होते हैं। हृदय को बल देने ، उष्णता के कारण होने वाले सिर दर्द को दूर करने ، घबराहट व दिल की धड़कन को शान्त करने में गुलाब के फूलों का उपयोग होता है। इनके सेवन से हृदय ، आमाशय ، आन्त्र ، वृक्क किडनी ، मूत्रशय और गर्भाशय को बल मिलता है।
جولكند- मौसमी गुलाब के ताजा फूलों की सिर्फ पंखुडि़यां ले कर، डण्डियां अलग कर، पंखुडि़यों के वज़न के दुगुनी मात्रा में शक्कर मिला दें। इसके बाद कलईदार बर्तन या एनामल के तसले पात्र में इन्हें डाल कर، हाथ से मसल कर अच्छी तरह मिला कर، कांच के एक बर्तन में डाल कर कुछ दिनों के लिए अलग व सुरक्षित रख दें। कुछ दिन बाद गुलाब की पंखुडि़यां और शक्कर मिल कर एक हो जाएंगे और गुलकन्द तैयार हो जाएगा। यह सादा गुलकन्द है। एक-एक चम्मच गुलकन्द सुबह शाम खाना चाहिए। इसे कुनकुने गरम दूध के साथ भी ले सकते हैं। इसके सेवन से जलन ، पित्त ، कब्ज आदि तकलीफें दूर होती है।
ماء الورد- मौसमी ताजे गुलाब के फूलों को चार गुने जल में डाल कर भपक यंत्र में भर कर इसका अर्क निकालने पर गुलाब जल तैयार हो जाता है। इस अर्क गुलाब जल पर तेल तैरता दिखाई देता है। इस तेल को रूई के फाहे से، बहुत सम्भाल कर लेते हैं। इस गुलाब जल को सुबह शाम दोनों नेत्र में दो-दो बूंद डालने से नेत्र ज्योति बढ़ती है और नेत्रों की सुन्दरता बढ़ती हैं। गुलाब जल नेत्र विकार ، जलन ، शुष्कता ، पानी गिरना आदि व्याधियों को दूर करता है। कान में दर्द- गुलाब के फूल का ताजा रस निकाल कर दोनों कानों में दो-दो बूंद डालने से कान में दर्द होना बन्द हो जाता है।
حرقان في العين सुबह शाम दो-दो बूंद، गुलाब जल दोनों आंखों में डालें। इस उपाय से आंखों में होने वाली जलन ، सुर्खी ، खुजली ، पानी आदि की शिकायतें दूर हो जाती है।
عرق رائحة كريهة- गुलाब की ताजी पंखुडि़यां को पीस लें व एक गिलास पानी में मिला कर ، स्नान करने से पहले ، पूरे शरीर पर लगा कर मालिश करें। थोड़ी देर बाद स्नान कर लें। जिससे दुर्गन्ध युक्त पसीने से निजात प्राप्त होती है।
موخباك- आमाशय में पित्त कुपित होने पर मुंह में छाले हो जाते हैं، जीभ लाल हो जाती है، इसे मुखपाक या मुंह का पकना कहते हैं गुलकन्द दो-दो चम्मच सुबह शाम खाएं और गुलाब के फूल का काढ़ा बना कर इस काढ़े से सुबह शाम कुल्ला करें।
تصريف الدم चोट लगने या कट जाने पर होने वाले रक्त स्त्राव को बन्द करने के लिए गुलाब की सूखी पीस कर कर लगाने से रक्त बहना रूक जाता है और घाव भी जल्दी भरता हैं।
احتراق- يوقف خلط عصير الليمون بماء الورد وتطبيقه الإحساس بالحرقان.
نبض القلب- गुलाब की सूखी पंखुडि़यों का चूर्ण और बराबर भाग मिश्री मिला कर एक-एक चम्म्च सुबह शाम दूध के साथ सेवन से बढ़ी हुई दिल की धड़कन सामान्य हो जाती है।
हमारे देश में नाना प्रकार की जड़ी बूटियां और वनस्पतियां उपलब्ध हैं और प्रत्येक जड़ी-बूटी किसी न किसी हेतु के लिए उपयोगी होती ही हैं। अनेक रोग नाशक उत्तम पुष्प गुलाब के औषधीय हैं। इस तरह، गुलाब के विभिन्न उपयोग पढ़ कर आप यह भलीभांति जान गये हैं कि गुलाब सिर्फ एक सुन्दर व सुगन्धित ही नहीं है कई कई प्रकार की व्याधियों को नष्ट करने वाली घरेलू दवा भी है।
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