.
الهدف من حياة التلميذ هو فقط اتباع أوامر المعلم.
أفضل تلميذ هو الذي لا يفكر في أي نوع آخر من المشاعر أو الأفكار في حياته غير المعلم.
शिष्य के जीवन में आराधाना ، पूजा ، प्रार्थना ، सेवा और साधाना केवल गुरु की ही होनी चाहिये।
शिष्य का कर्त्तव्य है कि वह वही काम करे ، जिससे कि गुरु को संतोष प्राप्त हो ، उसी प्रकार से सेवा करे ، जैसी सेवा गुरु को आवश्यक हो ، उसी प्रकार से चिन्तन करे जिस प्रकार से गुरु आज्ञा दें।
शिष्य सभी लज्जा भावों का त्याग कर गुरु को दण्डवत् प्रणाम करे तथा नित्य ही मन ، वचन ، कर्म से सुश्रुषा करे।
जो गुरु की आराधाना करता है ، उसने जीवन में कितने ही नीचतम कार्य किये हों ، धीरे-धीरे वे सभी समाप्त हो जाते हैं।
गुरु ही शिष्य के लिये माता-पिता ، बंधु एवं देवता है क्योंकि माता-पिता ने तो केवल शरीर को जन्म दिया है ، परन्तु गुरु शिष्य को संस्कार देते है।
يجب على التلميذ أن يواصل تحية المعلم مرارًا وتكرارًا لأن المعلم وحده يمكنه إيقاظ التلميذ من نوم الوهم ونقله من الجهل إلى المعرفة.
शिष्य की अज्ञानता ، बुद्धि का भ्रम है कि वह गुरु को सामान्य मनुष्य के रूप में देखता है ، उसके लिये इससे बड़ा पाप और इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ हो ही नहीं सकता। गुरु तो साक्षात ब्रह्म है।
إلزامي للحصول عليها جورو ديكشا من الموقر Gurudev قبل أداء أي Sadhana أو أخذ أي Diksha أخرى. الرجاء التواصل كايلاش سيدهاشرام ، جودبور من خلال البريد إلكتروني: , واتساب, الهاتف: or إرسال طلب سحب للحصول على مواد Sadhana المكرسة والمفعمة بالقداسة والمقدسة والمزيد من التوجيه ،
شارك عبر: