दीपावली को महापूजा की रात्रि कहा जाता है। जिसमें जलाई गई ज्योति पूरे वर्ष भर साधक के जीवन को प्रकाशित करती रहती है। दीपावली के दिन जो शुभ भाव व प्रसन्नता का वातावरण बनता है ، वह पूरे वर्ष भर बना रहता है।
जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में लक्ष्मी का प्रभाव है ، यह धन के अतिरिक्त यश अर्थात् प्रसिद्धि ، उन्नति ، कामना पूर्ति की देवी है ، ये सौभाग्य ، सुन्दरता ، श्रेष्ठ गृहस्थ जीवन की देवी है ، जिनकी कृपा बिना गृहस्थ पारिवारिक जीवन सही रूप से चल ही नहीं सकता، लक्ष्मी भोग की अधिष्ठात्री देवी है।
इनकी साधना से ही जीवन में सभी भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है। गृहस्थ जीवन को सुचारू रूप से गतिशील रखने के लिये नित्य प्रति के क्रम में कई वस्तुओं की आवश्यकता पड़ती हैं। यह सब मात्र एक तांत्रोक्त चैतन्य नव महालक्ष्मी पूजन से ही सम्भव होता है। जिसमें देवी की नव शक्तियां विभूति ، नम्रता ، कांति ، तुष्टि ، कीर्ति ، उन्नति ، पुष्टि ، उत्कृष्टि तथा रिद्धि से जीवन युक्त होता है।
दीपावली पूजन के लिये साधना सामग्री और श्री यंत्र सद्गुरूदेव के दिव्य सानिध्य में विशिष्ट पद्धति से लक्ष्मी के 108 स्वरूपों की चेतना से युक्त की गई है। लक्ष्मी की नौ कलाओं को साधक के शरीर में स्थापित करने हेतु नव सामग्री मंत्र सिद्ध की गयी है।
श्री सूक्त गणपति मंत्रें से प्राण प्रतिष्ठित पारद श्री यंत्र ، अष्ट लक्ष्मी सिद्धि फल ، धन-धान्य प्रदायक नारियल ، भू-भवन वसुधा गोमती चक्र ، रिद्धि-सिद्धि कमल बीज ، कामकला दायिनी मुद्रिका ، शुभ-लाभ हकीक चिंतक ، महालक्ष्मी माला व दारिद्रय शमन हवन सामग्री।
14 नवम्बर की रात्रि को स्नानादि कर वृषभ लग्न सांय 05:39 से 07:41 या सिंह लग्न रात्रि 12:10 से 02:21 विशिष्ट मुहूर्त में उत्तर की ओर कर स्थान पर बैठ जायें । जल से भरे दो कलश स्थापित करें सामने लाल या श्वेत वस्त्र बिछाकर उसके ऊपर स्टील की थाली रख कर उस पर कुंकुम से चारों दिशाओं में-
उक्त सभी के सामने रिद्धि-सिद्धि कमल बीज ، शुभ-लाभ हकीक चिंतक ، का स्थापन करें।
प्रथम कलश के सामने अष्ट लक्ष्मी सिद्धि फल स्थापित करें। दूसरे कलश के सामने धन-धान्य प्रदायक नारियल स्थापित कर ، दीपक प्रज्जलित करें सामने भू-भवन वसुधा गोमती चक्र ، पारद श्री यंत्र स्थापित कर धूपबत्ती प्रज्जवलित करें। काम कला दायिनी मुद्रिका किसी भी अंगुली में धारण करें।
أخذ الماء في اليد اليمنى ، ورش الماء على نفسه أثناء تلاوة المانترا-
غير طاهرة أو طاهرة ، أو في جميع الدول
ومن يتذكر يا عين اللوتس طهر خارجا وداخلا.
قم بترديد المانترا التالية ثلاث مرات:
केशवाय नमः ॐ नारायणाय नमः ॐ माधवाय नमः
اتخذ قرارًا بأخذ الماء في اليد اليمنى.
ॐ विष्णवे नमः। ॐ विष्णवे नमः। ॐ विष्णवे
نعمة. هاري أم تاتسات اليوم في النصف الثاني من براهمان
في الثامن والعشرين من كالي يوغا ، في جامبوديب ، في منطقة بهاراتا المقدسة
उत्तम मासे कार्तिक मासे कृष्ण पक्षे अमावस्यां
तिथौ शनिवासरे अमुक गोत्र (निखिल गोत्रे) अमुक
أنا شارما (انطق الاسم) ماهالاكشمي من أجل إسعاد الله
प्रीत्यर्थ सकल दुख दारिद्रय नाश निमित्तं च राज ، योग ،
استمتع بـ Nav Lakshmi Pujanmah Karishye. (دع الماء ينزل)
दीपावली के अवसर पर दो बड़े तेल व घी का दीपक अवश्य प्रज्ज्वलित रखें ، जो रात्रि भर जलते रहें। दीपक प्रज्ज्वलित करते हुये निम्न मंत्र का उच्चारण करें और कुंकुंम अक्षत से पूजन करें-
भो दीप देव रूपस्त्वं कर्म साक्षी ह्यविघ्नकृत ،
تبقى Jajavalya ثابتة حتى الانتهاء من العمل
हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर स्वस्ति वाचन
استسلم لكل المواد أثناء القيام بذلك.
ॐ أتمنى أن تبارك إندرا ، العجوز السمعة ، وتبارك الشمس ، فيسفا فيدا.
स्वस्ति नस्ताक्र्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्तिनो बृहस्पर्तिदधातु ।।
किसी भी साधना मंत्र जप प्रारम्भ करने से पूर्व गुरू पूजन आवश्यक है، अतः अपने सामने गुरू चित्र स्थापित करें और दीपावली के शुभ अवसर पर आशीर्वाद की कामना करें-
المعلم براهما ، المعلم فيشنو ، المعلم هو الله والمعلم ماهيشوارا
गुरूः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरूवे नमः ।।
ॐ Mangalamurti Nikhileswaraya Namah
पाद्यं ، अर्घ्यं ، स्नानं ، गन्धं ، पुष्पाणि ، धूपं ، दीपं ، नैवेद्यं
أقدم طاعاتي لأقدام لوتس لسري جورو.
बाजोट पर चावल से स्वस्तिक बनाकर उस पर कलश को स्थापित करें। कलश में शुद्ध जल के साथ गंगाजल मिलायें، उसके बाद उसमें चन्दन अक्षत، सुपारी अर्पित करें। कलश पर मौली बांधे और निम्न मंत्र का पाठ करें-
جاء الشاب مرتديا ثيابا راقية وولد له
الصامدون يرفعون القديسين ويؤدونهم بعقولهم.
इसके बाद नारियल में मौली बांध लें और कुंकुंम का तिलक कर، पांच आम या तुलसी के पत्ते कलश में डाल दें। इसके बाद दाहिने हाथ से कलश का स्पर्श करते हुये निम्न मंत्र का पाठ करें-
يجلس فيشنو عند فم الجرة ورودرا عند الرقبة
يقف براهما عند الجذر وتقف الأم جانا في المنتصف.
कुक्षौ तु सागरा सर्वे सप्त द्वीपा वसुन्धराः ،
ثم Rigveda و Yajurveda و Samaveda و Atharva Veda.
وكل بأطرافهم فليكن في الجرة
هنا غاياتري ، سافيتري ، السلام والتأكيد.
आयान्तु मम् परिवारस्य दुरितः क्षय कारकाः ।।
سري يانترا بوجا مع جانباتي ريدهي سيدي
इसके बाद श्री यंत्र पर मौली बांध कर ताम्र पात्र में स्थापित करें। निम्न मंत्र बोलते हुये श्री यंत्र पर कुंकुंम ، अक्षत चढ़ायें-
ॐ لاكشمي نارايانابيا ناما. ॐ Umameshwarabhyai Namah.
ॐ वाणी हिरण्यगर्भाभ्यां नमः ।। ॐ इष्ट देवताभ्यो
नमः। कुल देवताभ्यो नमः ।। ग्राम देवताभ्यो नमः ।।
أوم إلى كل الآلهة.
قدم الزهور إلى Shree Yantra من خلال تلاوة شعار التأمل التالي-
ऋद्धि-सिद्धि शुभ- लाभ सेवितं ، कपित्थं जम्बू फल
चारू भक्षणं ، उमासुतं पाप विनाशनयै ، सर्व श्रीं श्रीं
प्राप्यर्थे नमः ।।
دع الحياة تبقى فيه ولتفسخ الحياة فيه.
अस्मै देवत्व अर्चायै मां अहैति च कश्चनः ।।
साथ ही महालक्ष्मी की नौ कलाओं का पूजन कर ، फिर महालक्ष्मी का आवाहन् और मंत्र जप एवं आरती ، समर्पण ، स्तुति संपन्न की जाती है। निम्न मंत्रे का 21-21 बार उच्चारण करें।
1- अष्ट लक्ष्मी सिद्धि फल- ।। ॐ ऐं श्रौं नमः ।।
2- धन-धान्य प्रदायक नारियलः। ॐ ऐं धनदा प्रीं नमः।
3-भू-भवन वसुधा गोमती चक्रः ।। ॐ ऐं भू-भवन वसुधा हूं नमः ।।
4- रिद्धि-सिद्धि चैतन्य बीजः ।। ॐ श्रीं रिद्धि-सिद्धि रौं नमः ।।
5- काम कला दायिनी मुद्रिकाः ।। ॐ ऐं कामदेवाय क्रीं नमः ।।
6- शुभ-लाभ हकीकः ।। ॐ ऐं सर्व लाभायै चिन्तये क्लीं नमः ।।
7- पारद श्री यंत्रः ।। ॐ ऐं श्रीं श्रीं लक्ष्म्यै जूं श्रीं श्रीं नमः ।।
لتحقيق الكمال ، ردد المانترا التالية بثلاث جولات من Mahalakshmi Mala.
सिद्धि व पूर्णता प्राप्त हेतु नव निधि महालक्ष्मी के उक्त मंत्र से 27 बार आहुति हेतु हवन की क्रिया सम्पन्न करें। लक्ष्मी आरती، समर्पण स्तुति करें।
الزهور العطرية المختلفة وكذلك الزهور الموسمية.
पुष्पांजलिर्मया दत्ता गृहाण जगदम्बिके ।।
श्री महालक्ष्म्यै नमः पुष्पांजलिं समर्पयामि ।।
नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः ।।
नमः प्रकृत्यै भद्रायै नियताः प्रणताः स्म ताम ।।
أقدم طاعاتي لسري ماهالاكشمي.
निम्न सर्मपण मंत्र का उच्चारण करते हुये पूजन व जप भगवती पारद श्री यंत्र को समर्पित करें ، जिससे कि पूर्ण फल आपको प्राप्त हो सकें
خذ حفنة من الماء واتركها على الأرض لإتمام العبادة. بعد ذلك ، وزع براساد على جميع أفراد الأسرة والأقارب.
साधना समाप्ति के पश्चात् पारद श्री यंत्र को अपने पुजा स्थान में ही रहने दे ، बाकि सभी सामग्री को कार्तिक पूर्णिमा के बाद विसर्जित कर दें।
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