शरीर के आरोग्यार्थ यह रस इतना अधिक उपयोगी सिद्ध हुआ है कि विदेशी जीव वैज्ञानिकों ने इसे 'हरा लहू' (الدم الأخضر) कहकर सम्मानित किया है। डॉ- एन- विगमोर नामक एक विदेशी महिला ने गेहूँ के कोमल ज्वारों के रस से अनेक असाध्य रोगों के मिटाने के सफल प्रयोग किये हैं। उपरोक्त ज्वारों के रस द्वारा उपचार से 350 भी अधिक रोग मिटाने के आश्चर्यजनक परिणाम देखने में आये हैं। जीव-वनस्पति शास्त्र में यह प्रयोग बहुत मूल्यवान हैं।
गेहूँ के ज्वारों के रस में रोगों के उन्मूलन की एक विचित्र शक्ति विद्यमान है। शरीर के लिये यह एक शक्तिशाली टॉनिक है। इसमें प्राकृतिक रूप से कार्बोहाईड्रेट आदि सभी विटामिन ، क्षार एवं श्रेष्ठ प्रोटीन उपस्थित हैं। इसके सेवन से असंख्य लोगों को विभिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति मिली है।
उदाहरणार्थ: (1) मूत्रशय की पथरी، (2) हृदयरोग، (3) डायबिटिज، (4) पायरिया एवं दांत के अन्य रोग، (5) पीलिया، (6) लकवा، (7) दमा، (8) पेट दुखना ( 9) पाचन क्रिया की दुर्बलता ، अपच ، गैस ، (10) विटामिन ए ، बी आदि के अभावोत्पन्न रोग ، (11) त्वचासंवेदनशीलता (स्किन एलर्जी) ، (12) जोड़ों में सूजन ، गठिया ، संधिशोध ، संबंधित बारह वर्ष पुराने रोग ، ( 13) आखों का दौर्बल्य، (14) केशों का श्वेत होकर झड़ जाना، (15) चोट लगे घाव तथा जली त्वचा सम्बन्धी सभी रोग।
हजारों रोगियों एवं निरोगियों ने भी अपनी दैनिक खुराकों में बिना किसी प्रकार के हेर-फेर किये गेहूँ के ज्वारों के से थोड़े थोड़े में में चमत्कारिक लाभ प्राप्त किये हैं। वे अपना अनुभव बताते हैं कि ज्वारों के रस से आँख ، दाँत और केशों को बहुत लाभ पहुँचता है। कब्जी मिट जाती है، अत्यधिक कार्यशक्ति आती है और थकान नहीं होती।
طريقة زراعة الذرة الرفيعة بالقمح
मिट्टी के नये खप्पर، कुंडे या सकोरे लें। उनमें खाद मिली मिट्टी लें। रासायनिक खाद का उपयोग बिल्कुल न करें। पहले दिन कुंडे की सारी मिट्टी ढँक जाये इतने गेहूँ बोयें। पानी डालकर कुंडों को छाया में रखें। सूर्य की धूप कुंडों को अधिक या सीधी न लग पाये इसका ध्यान रखें।
इसी प्रकार दूसरे दिन दूसरा कुंडा या मिट्टी का खप्पर बोयें और प्रतिदिन एक बढ़ाते हुए नौवें दिन नौवां कुंडा बोयें। सभी कुंडों को प्रतिदिन पानी दें। नौवें दिन पहले कुंडें में उगे गेहूँ काट कर उपयोग में लें। खाली हो चुके कुंडे में फिर से गेहूँ उगा दें। इसी प्रकार दूसरे दिन दूसरा، तीसरे दिन तीसरा करते हुए चक्र चलाते जाएं। इस प्रक्रिया में भूलकर भी प्लास्टिक के बर्तनों का उपयोग कदापि न करें।
प्रत्येक कुटुम्ब अपने लिये सदैव के उपयोगार्थ 10، 20، 30 अथवा इससे भी अधिक कुंडे रख सकता है। प्रतिदिन व्यक्ति के उपयोग अनुसार एक، दो या तीन अधिक कुंडे में गेहूँ बोते रहें। मध्याह्न के सूर्य की सख्त धूप न लगे परन्तु प्रातः अथवा सायंकाल का मंद ताप लगे ऐसे स्थान में कुंडों को रखें। सामान्यतया आठ दस दिन में गेहूँ के ज्वारे पांच से सात इंच तक ऊंचे हो जायेंगे। ऐसे ज्वारों में अधिक से अधिक गुण होते हैं। ज्यों-ज्यों ज्वारे सात इंच से अधिक बड़े होते जायेंगे त्यों-त्यों उनके गुण कम होते जायेंगे। अतः उनका पूरा-पूरा लाभ लेने के लिये सात इंच से अधिक बड़े होते ही उनका उपयोग कर लेना चाहिये।
قطع المد والجزر من سطح التربة بالمقص أو يمكنك استخدامها عن طريق سحبها كاملة. زرع القمح مرة أخرى في الأخدود الفارغ. استمر في زرع القمح مثل هذا كل يوم.
وصفة
जब समय अनुकूल हो तभी ज्वारें काटें। काटते ही तुरन्त धो डालें। धोते ही उन्हें कूटें। कूटते ही कपड़े से उसे छान लें। इसी प्रकार उसी ज्वारे को तीन बार कूट-कूटकर रस निकालने से अधिकाधिक रस प्राप्त होगा। चटनी बनाने अथवा रस निकालने की मशीनों आदि से भी रस निकाला जा सकता है। रस के निकालने के बाद विलम्ब किये बिना तुरन्त ही उसे धीरे-धीरे पियें। किसी सशक्त अनिवार्य कारण के अतिरिक्त एक क्षण भी उसको पड़ा न रहने दें ، कारण कि उसका गुण प्रतिक्षण घटने लगता है और तीन घंटे में तो उसमें से पोषक तत्व ही नष्ट हो जाता है। खाली पेट में प्रातः काल यह रस पीने से अधिक लाभ होता है।
दिन में किसी भी समय ज्वारों का रस पिया जा सकता है। परन्तु रस लेने के आधा घंटा पहले और लेने के आधे घंटे बाद तक कुछ भी खाना-पीना न चाहिये। आरंभ में कइयों को यह रस पीने के बाद उबकाई आती है، उल्टी हो जाती है अथवा सर्दी हो जाती है। परन्तु इससे घबराना न चाहिये। शरीर में कितने ही विष एकत्रित हो चुके हैं यह प्रतिक्रिया इसकी निशानी है। सर्दी، दस्त अथवा उल्टी होने से शरीर में एकत्रित हुए वे विष निकल जायेंगे।
ज्वारों का रस निकालते समय मधु ، अदरक ، नागरबेल के पाने (खाने के पान) भी डाले जा सकते हैं। इससे स्वाद और गुण का वर्धन होगा और उबकाई नहीं आयेगी। विशेषता यह बात ध्यान में रखे लें कि ज्वारों के रस में नमक अथवा नींबू का रस तो कदापि न डालें।
إذا لم تكن هناك وسيلة لاستخراج العصير ، فيمكن أيضًا تناول الذرة الرفيعة عن طريق المضغ. هذا سوف يقوي الأسنان واللثة. إذا جاءت الرائحة الكريهة من الفم ، فإنها تختفي بمضغ القليل من الذرة الرفيعة ثلاث مرات في اليوم. خذ عصير المد والجزر مرتين أو ثلاث مرات في اليوم.
الحل الناجع
अमेरिका में जीवन और मरण के बीच जूझते रोगियों को प्रतिदिन चार बड़े गिलास भरकर ज्वारों का रस दिया जाता है। जीवन की आशा ही जिन रोगियों ने छोड़ दी उन रोगियों को भी तीन दिन या उससे भी कम समय में चमत्कारिक लाभ होता देखा है। ज्वारे के रस से रोगी को जब लाभ होता है ، तब नीरोग व्यक्ति ले तो कितना अधिक लाभ होगा؟
رخيص وأفضل
ज्वारों का रस दूध، दही से अनेक गुना अधिक गुणकारी है। दूध में भी जो नहीं है उससे अधिक इस ज्वारे के रस में है। इसके बावजूद दूध، दही से बहुत सस्ता है। घर में उगाने पर सदैव सुलभ है। गरीब से गरीब व्यक्ति भी इस रस का उपयोग करके अपना खोया स्वास्थ फिर से प्राप्त कर सकता है। गरीबों के लिये यह ईश्वरीय आशीर्वाद है। नवजात शिशु से लेकर घर के छोटे-बड़े ، आबालवृद्ध सभी ज्वारे के रस का सेवन कर सकते हैं। नवजात शिशु को प्रतिदिन पाँच बूँद दी जा सकती है।
ज्वारे के रस में लगभग समस्त क्षार और विटामिन उपलब्ध हैं। इसी कारण से शरीर में जो कुछ भी अभाव हो उसकी पूर्ति ज्वारे के रस द्वारा आश्चर्यकारक रूप से हो जाती है। इसके द्वारा प्रत्येक ऋतु में नियमित रूप से प्राणवायु ، खनिज ، विटामिन ، क्षार और शरीरविज्ञान में बताये गये कोषों को जीवित रखने के लिए आवश्यक सभी तत्त्व प्राप्त किये जा सकते हैं। डॉक्टर की सहायता के बिना गेहूँ के ज्वारों का प्रयोग आरंभ करो और खोखले हो चुके शरीर को मात्र तीन सप्ताहों में ही ताजा ، स्फूर्तिशील एवं तरावटदार बना दो।
ज्वारों के रस के सेवन के प्रयोग किये गये हैं। कैंसर जैसे असाध्य रोग मिटे हैं। शरीर ताम्रवर्णी और पुष्ट होते पाये गये हैं। आरोग्यता के लिए भाँति-भाँति की दवाइयों में पानी की तरह पैसे बहाना बंद करें। इस सस्ते ، सुलभ तथापि अति मुल्यवान प्राकृतिक अमृत का सेवन करें और अपने तथा कुटुंब के स्वास्थ्य को बनाये रखकर सुखी रहें।
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