माता पार्वती ने 108 वीं बार जब जन्म लिया और हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में घोर तपस्या की पुराणों की कथा के की पक्ष को भगवान शिव देवी पार्वती से प्रसन्न हुये और उन्हें दर्शन दिये अपनी ही उन्हें उन्हें उन्हें साथ ही उन्हें पत्नी बनाने का वरदान दिया था। इस उत्सव को मनसा शक्ति पर्व भी कह सकते हैं। अर्थात् आत्मीय भाव से कोई भी स्त्री शिव की अभ्यर्थना करती है तो मनसा स्वरूप में अवश्य ही कामना पूर्ति होती ही है। झूला-झूलने का भाव चिन्तन यही है कि गृहस्थ जीवन निरन्तर आनन्द के साथ व्यतीत होता रहे।
يُعرف Hariyali Teej أيضًا باسم Chhoti Teej و Shravan Teej. هاريالي تيج مهم جدا للنساء المتزوجات. وفقًا لمعتقدات الهندوسية ، يعد هذا العيد رمزًا لتفاني الزوجة تجاه زوجها. تتحقق الأمنيات من خلال عبادة اللورد شيفا والأم بارفاتي في هذا اليوم.
. बाल्यावस्था में बारह वर्षों तक अधोमुखी होकर घोर तप किया था। बिना अन्न के आपने पेड़ों के सूखे पत्ते चबा कर बिताये थे। इसके साथ ही माघ के महीने में जब घनघोर शीत में आपने जल में रहकर तप किया। इतना ही नहीं वैशाख में हाड़ जला देने वाली गर्मी में आपने पंचाग्नि से शरीर को तपाया था। श्रावण की मूसलधार वर्षा में बिना अन्न-जल ग्रहण किये आपने तपस्या की थी। इस तपस्या को देख आपके पिता बहुत दुःखी होते थे। एक दिन तुम्हारी तपस्या तथा पिता के क्लेश को देखकर नारद जी आपके घर आये और वह भगवान विष्णु का संदेशा लाये थे। आपकी कन्या का तप देख कर भगवान विष्णु बेहद प्रसन्न है और वह उनसे विवाह करना चाहते हैं।
नारद जी की बात सुनकर गिरिराज बहुत प्रसन्न हुये और नारद जी से कहा कि यदि स्वयं भगवान विष्णु मेरी कन्या विवाह करना चाहते तो तो मुझे क्या आपत्ति हो सकती है। देवी आपके पिता से स्वीकृति पाकर नारद जी विष्णु के पास गये और उनसे शुभ समाचार सुनाया ، लेकिन जब ये बात आपको पता चली तो आप दुःख और पीड़ा से घिर गई इस मानसिक कष्ट को जब आपकी सहेली ने देखा तो वह आपका अपहरण कर आपको जंगल में ले आई वहां वहां कर दिया और यहीं यहीं आपने सालो घनघोर तप किया। आपके पिता ने विष्णु जी को वचन दिया था इसलिये आपकी खोज शुरू हो गई। इधर तुम्हारी खोज होती रही और उधर आप अपनी सखी के साथ नदी के तट पर एक गुफा में मेरी आराधना में लीन थीं।
भाद्रपद शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र था। उस दिन आपने रेत के शिवलिंग का निर्माण करके व्रत किया। मेरी स्तुति के गीत गाकर जागती रही और इस तपस्या से मेरा दिल पिघल गया। आपकी कष्ट साध्य तपस्या के प्रभाव से मेरा आसन तक डोलने लगा था ओर मेरी समाधि टूट गई थी। इसके बाद में आपके समक्ष पहुँचा और आपसे वर मांगने को कहा तब आपने मुझे कहा कि '' मै हृदय से आपको पति के रूप में वरण कर चुकी हूँ। यदि आप सचमुच मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर आप यहां पधारे है तो मुझे अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार कर लीजिये। "
तब मैं तथास्तु कह कर कैलाश पर्वत पर वापस लौट गया और आपने पूजा की समस्त सामग्री को में प्रवाहित प्रवाहित सहेली सहित व्रत का पालन किया। उसी समय अपने मित्र-बंधु व दरबारियों सहित गिरिराज तुम्हें खोजते-खोजते वहां आ पहुँचे और तुम्हारी इस कष्ट साध्य तपस्या का उदेश्य पूछा। आपकी दशा को देखकर गिरिराज अत्यधिक दुःखी हुये और पीड़ा के कारण उनकी आंखों में आंसू निकल गये अपने अपने कहा कि मैं महादेव को पति के रूप में पाना चाहती थी। मेरी तपस्या से वह प्रसन्न हो कर मुझ से विवाह करने को राजी हो गये हैं।
لقد أصلحت زواجي من Vishnuji ، ولهذا السبب جئت إلى هنا في الغابة. ثم سأعود معك إلى المنزل بشرط أن تتزوجني من اللورد شيفا. ثم وافق جيريراج وأخذك إلى المنزل. بعد مرور بعض الوقت ، تزوج كلانا وفقًا للقانون. مرحبًا بارفاتي! كنتيجة للصوم الذي لاحظته لي في Shukt Tritiya of Bhadrapada ، تمكنت من الزواج منك. هذا هو السبب في أن هذا الصيام مهم جدًا ومن يصوم هذا الصيام سيكون دائمًا سعيدًا وسعادة.
हिन्दू धर्म में अनेक व्रत ، उपवास बताये गये हैं ، व्रत उपवास करने से शारीरिक ، मानसिक ، आत्मिक शुद्धि संभव हो पाती है। साथ ही मनोकामनाओं की प्राप्ति के लिए भक्त और ईश्वर का तारतम्य जुड़ पाता है। हिन्दू संस्कृति में अधिकांश व्रत सौभाग्य से सम्बन्धित होते हैं अर्थात् हर स्वरूप में जीवन की दुर्गति को समाप्त और और जीवन श्रेष्ठमय श्रेष्ठमय और यह कार्य कार्य मां ही श्रेष्ठ रूप में करती है।
इसलिये स्त्रियों का जीवन धार्मिक कार्य ، नित्य पूजन ، उपवास ، व्रत आदि की क्रियाओं में अत्यधिक रचा-बसा होता है। अपने प्राकृतिक स्वभाव के कारण स्त्रियों को इन धार्मिक क्रियाओं में संतुष्टि ، संतोष व आनन्द भी प्राप्त होता है।
हरितालिका तीज यह तीज व्रत भाद्रपद (भादो) शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। स्त्रियां इस व्रत को अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखती हैं، तो वही कुंवारी कन्यायें योग्य वर प्राप्ति के लिए इस व्रतीय नियम का पालन करती हैं। यह व्रत निराहार व निर्जला स्वरूप रखा जाता है।
. है।
تحتفل النساء بـ Hariyali Teej بالصوم ، خاصة بالنسبة لأخند سوهاج حظا سعيدا. هذا المهرجان له أهمية خاصة لزيادة العسل المتواصل في الحياة الدنيوية.
سادهانا فيدان
हरियाली तीज 11 अगस्त बुधवार को स्नान आदि से निवृत होकर शुद्ध वस्त्र धारण कर पूजा स्थान में अपने सामने एक चौकी एक थाली में से स्वस्तिक बना पर अखण्ड सुहाग सौभाग्य वृद्धि लक्ष्मी यंत्र व गौरी शंकर रूद्राक्ष स्थापित कर शुद्ध घी शंकर रूद्राक्ष स्थापित कर शुद्ध घी शुद्ध घी जलाकर सम्पूर्ण सामग्री का पुष्प ، अक्षत ، सिन्दुर ، मेहन्दी ، चुनरी श्रृंगार का सामान आदि से पूजन सम्पन्न करें। अखण्ड सौभाग्य व इच्छाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना कर भगवान शिव-गौरी का ध्यान करें-
ترانيم 5 جولات من المانترا التالية مع بريم شاكتي شيف جوري مالا-
मंत्र जप के बाद शिव आरती सम्पन्न करें। गौरी शंकर रूद्राक्ष को किसी लाल धागे में डाल कर गले में धारण कर लें व यंत्र माला को किसी शिव मंदिर अथवा चरणों चरणों अर्पित करें
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