बात उन दिनों की है ، जब बांग्लादेश की लड़ाई जीतने के कारण पूरे देश में सेना का गुणगान हो रहा था। एक कर्नल साहब अक्सर गुरुधाम जोधपुर आ जाते और बेलगाम बातें करने लगते। एक दिन जब सद्गुरुदेव बैठे हुये थे ، वट सावित्री पूजन करने के बाद नवयौवनाओं का एक दल गुरुदेव का आशीर्वाद लेकर रवाना हुआ ही था ، कि कर्नल साहब आ धमके और हमेशा की भांति अपनी डींगे हाँकने लगे। कुछ लोगों के साथ उस समय हाल में ही सद्गुरुदेव जी की बताई साधना सम्पन्न कर कामाख्या कामरुप से लौटी ، बेला बोस (नाम बदल दिया गया है) बंगाली साधिका भी उपस्थित थी।
कर्नल साहब की बातों को उसने सद्गुरुदेव सामने अशिष्ट और अमर्यादित तथा शिष्य लिये असहनीय समझने देर देर नहीं-'कर्नल साहब! देश की रक्षा करना निःसन्देह गौरव की बात है और पूरा देश ऐसे देशभक्तों की आज आरती उतार रहा है। बड़े काम करना श्रेष्ठ पुरुषों का काम होता है ، परन्तु आप तो पुरुष ही नहीं हैं! '
यह वाक्य सुनकर कर्नल साहब आग बबूला हो उठे और कुछ ऐसा बोला जो मुझे याद नहीं है ، परन्तु बेला एकदम शान्त भाव से बोली -'उत्तेजित होने की आवश्यकता नहीं है ، कृपया बाथरुम में जाकर स्वयं देख लें! '
कर्नल साहब ड्राईंग रुम से लगे हुये बाथरुम में गये और जब उन्होंने पाया की उनका पौरुष प्रतीक ही गायब है ، तब उनके चेहरे से हवाईयाँ उड़ने लगी और वे बाहर आकर गिड़गिड़ाने लगे। लेकिन बेला ने मासूमियत की चादर ऐसी ओढ़ी जैसे कुछ पता ही नहीं हो और कहा- 'मैंने तो अभी इतनी ही साधना सिद्ध की है ، इस स्थिति को पूर्ववत करने का विधान मैंने नहीं सीखा है है!'
कर्नल साहब के आंसू छलछला आये، सद्गुरुदेव जी को दया आई और उन्होंने मुस्कुराते हुये बेला को मीठी झिड़की दी। बेला ने कहा-'अच्छा अब आप कसम खा लें ، कि ज्योतिष के प्रति कभी ऊल-जलुल नहीं बोलेंगे और फिर बाथरुम हो आयें। '
कर्नल बाथरुम जाकर लौटकर ऐसे गायब हुये कि फिर हम उन्हें दुबारा देखने का सौभाग्य आज तक नहीं प्राप्त कर सके। .
बेला बोस के जन्म चक्र में अन्य ग्रहों के अतिरिक्त चन्द्रमा की विशिष्ट स्थिति को रेखांकित कर ही इस प्रकार की साधनाये ने उसे प्रदान की ، जिनमें व्यत्तिफ़ संवेदनाओं से परिपूर्ण तो हो ، परन्तु उन्हें मर्यादित करने की भी क्षमता प्राप्त हो। ग्रहाधिपति चन्द्रमा की इसमे बड़ी विशेषता क्या हो सकती है कि मानव जीवन का संचालन पांच ज्ञानेन्द्रियों और पांच कर्मेन्द्रियों से होता है। इन सभी इन्द्रियों का संचालक मन है तथा मन का संचालक चन्द्रमा है। वेदों में कहा गया है-'चन्द्रमा मनसो जातः'- अर्थात चन्द्रमा मन है। साधनाओं की दृष्टि से देखें तो चन्द्रमा ने स्वयं इतनी दिव्यता प्राप्त कर ली है ، कि इसे अमृत का मूल कहा गया है।
इसका दूसरा नाम ही सुधाकर है। शरद पूर्णिमा की रात को आज भी खीर के कटोरे या दूध से भरे पात्र को रख कर चन्द्रमा की किरणों से अमृत प्राप्त कर साधना सम्पन्न कर दमा इलाज किया जाता है। वर्ष भर के लिये अमृत पान कर निरोग बन जाने का महोत्सव ही शरदोत्सव कहलाता है। यहाँ तक कि समस्त देवों के अधिपति त्रिदेवों में भी प्रमुख، जिनका काम ही कल्याण करना है، ऐसे भगवान शंकर ने भी इसे अपनाया और किसी अन्य जगह नहीं सीधे अपने शीश पर ही स्थान दिया और स्वयं चन्द्रशेखर कहलाये।
القمر هو الأكثر تأثيرًا يوم الاثنين عندما يقع على خسوف القمر أو في برج الثور على القمر. يجب على Sadhaks أن يمارس التمارين الروحية في مثل هذه الأوقات لجعل القمر مناسبًا والحصول على نعمة كاملة.
1- تعتبر Chandra Sadhna مفضلة بشكل خاص لضوء العين وتوهج الوجه.
2- सौन्दर्य، कला، साहित्य का कारक ग्रह चन्द्रमा ही है। अतएव इन क्षेत्रों में विशेष सफलता के लिये चन्द्रमा साधना फलदायी होती है।
3- मन का कारक होने से नवीन शोध के कार्यों अथवा कल्पना / परिकल्पना، विचारों में मौलिकता जहां आवश्यक है، उसके लिये यह श्रेष्ठतम साधना है।
4- मन एवं नेत्रों पर आकर्षण तथा प्रभाव उत्पादकता सम्मोहन का आधार है। अतएव इस साधना द्वारा साधक के अन्दर सम्मोहन ، प्राकृतिक रुप से ही प्राप्त हो जाता है।
5- नारी की कमनीयता अथवा सुघड़ता अथवा ममता और मातृत्व भाव चन्द्रमा की ही देन है। नारी की सुकोमलता، केश राशि एवं चेहरे का सौन्दर्य विशेष रुप से चन्द्रमा द्वारा प्रभावित होता है। सौन्दर्य निखारने तथा खोये सौन्दर्य को पुनः लाने के लिये यह साधना स्त्रियों के लिये विशेष उपयोगी है। इसके अलावा 'मोती' धारण करना भी सौन्दर्य की दृष्टि से महिलाओं के लिये कारगर माना गया है।
6- रस، मिष्ठान्न، खेती، बाग-बगीचे के कार्यों में सफलता के लिये चन्द्रमा की साधना अनुकूल है।
7- لتجنب غضب الشمس أو الكواكب القاسية الأخرى ، لا يكاد يوجد أي حل آخر غير عبادة القمر.
8- संवेदनाओं का आधार होने से कवित्व शक्ति، ग्रंथ रचना अथवा साधना में सफलता के लिये विशेष लाभदायक है।
9- आयुर्वेद، रसायन का मूल ग्रह चन्द्रमा है، अतः औषधि विज्ञान में सफलता के लिये इसका विशेष उपयोग है।
10- النجاح في مجال علم الزئبق أو الكيمياء (صناعة الذهب) غير ممكن بدون نعمة القمر.
11- रोचकता، मौलिकता، उत्साह، तरंग، उमंग-यह सब चन्द्रमा से बहुत प्रभावित है।
12- सौन्दर्य का तो आधार ही चन्द्रमा है ، शक्ति यदि संवेदना और सौन्दर्य से रहित हो जाये तो फिर उसे ही शक्ति कहा जाता है ، अतएवं किसी भी क्रूर व्यक्ति या लंपट महिला को सही राह पर लाने के लिये चन्द्रमा की शक्ति गजब प्रभाव लाती है।
13- الذكاء التحليلي مطلوب للنجاح في مجال الإصلاح الاجتماعي أو العدالة وهذا التخصص في التحليل لا يتحقق إلا بتوافق القمر.
14- किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिये आध्यात्मिक आधार आवश्यक है। श्रद्धा ، समर्पण ، उदारता ، त्याग ، बलिदान ، निष्ठा ، गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण और भौतिक जगत में कुछ कर गुजरने की भावना चन्द्रमा की अनुकूलता से ही पैदा की जा सकती है
15- हमारी सृष्टि मैथुनी सृष्टि कहलाती है، जिसका आधार पति-पत्नी، दाम्पत्य जीवन की अनुकूलता है। यह अनुकूलता उच्चतम आदर्श की स्थिति तक चन्द्रमा की अनुकूलता से ही पहुँच पाती है। अतः अनुकूल वर या वधू प्राप्त करने के लिये चन्द्रमा की अनुकूलता अनिवार्य है।
يمكن أن تبدأ سادهانا هذه في ليلة أي خسوف للقمر. إنه لأمر ميمون إذا كانت هناك صورة شيفلينج واللورد شيفا في مكان العبادة قبل البدء في التأمل. نصلي من أجل النجاح في التأمل من خلال التأمل في اللورد شيفا بالطريقة التالية عن طريق القيام بإيجاز Guru Poojan-
रात्रि में शुद्ध वस्त्र धारण कर، वायव्य दिशा (उत्तर और पश्चिम के मध्य वाली दिशा) की ओर मुख कर आसन पर बैठ जाये। सामने चौकी अथवा भूमि पर निम्न प्रकार से कुंकुंम द्वारा चन्द्र यंत्र का अंकन कर लें।
उस पर सफेद वस्त्र बिछा दें। वस्त्र पर हल्दी से अर्ध चन्द्र की आकृति अंकित करें। इस पर मंत्र सिद्ध प्राण प्रतिष्ठित 'चन्द्र यंत्र' को निम्न मंत्र बोलते हुये स्थापित करें-
फिर निम्न मंत्र जिसे 'चन्द्र गायत्री' कहते है، उसका उच्चारण करते हुये चन्दन से यंत्र पर 11 बिन्दियां बनाये-
।। ऊँ Kṣīra Putraya विद्महे Amṛta Tattvaaya धीमहि तन्नो चन्द्रः प्रवोदयात्।
अब 'सफेद हकीक माला' से निम्न मंत्र की 03 माला नित्य 05 दिनों तक जप करें-
اقرأ Gautam Rishikrit Chandra Stotra بعد ترديد المانترا-
أيها الملك الذي في القمر استمع للأسماء الميمونة
यानि श्रृत्वा नरो दुःखान्मुच्यते नात्र संशयः ।।1 ।।
Sudhakara و Soma هي لوتس المجد ومغرمون بالزنابق
लोकप्रियः शुभ्र भानुश्चन्द्रमा रोहिणीपतिः ।।2 ।।
القمر هو ملك الثلج وملك البراهمة هو قمر الليل
आत्रेय इन्दुः शीतांशुरोषधीशः कलानिधीः ।।3 ।।
ولد Jaivatri شقيق راما في محيط الحليب.
नक्षत्रनायकः शम्भु शिरश्चूडामणिर्विभुः ।।4 ।।
من يقرأ هذه الأسماء من السماء والسراج.
प्रत्यहं भक्ति संयुक्तस्त्स्य पीडा विनश्यति ।।5 ।।
ومن قرأها في ذلك اليوم نالها كل خير.
ग्रहादीनां च सर्वेषां भवेच्चन्द्र बलं सदा ।।6 ।।
साधना समाप्ति के बाद यंत्र / माला को 07 दिन बाद आने वाले सोमवार के दिन शिव मन्दिर में चढ़ा दें।
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