शक्ति के अजस्त्र स्त्रोत की चेतना प्रदाता महाकाली। .
अर्थात्- समस्त रोगों को दूर करने वाली ، जगत वन्दनीय विनम्र तथा दक्ष भक्तों के द्वारा पूजनीय ، साधकों के भय का नाश करने वाली ، सभी को सुख देने वाली ، देव जननी महाकाली हमारी रक्षा करें। काली को कलिष्ट रोग हन्ता कहा गया है ، यह समस्त प्रकार के रोगों को समाप्त करने वाली और वृद्धावस्था को यौवनावस्था में बदलने वाली है।
महाकाली की कृपा से काल का क्षय होता है ، और व्यक्ति दीर्घायु एवं इच्छा मृत्यु प्राप्त करने में सक्षम हो जाता है। काली का तात्पर्य है काल को पहचानने की क्षमता प्राप्त करना، जिससे भूत، भविष्य और वर्तमान को एक पल में पहचान लेना। . प्रवृत्त करती है। यह विज्ञान रूपा है ، जिससे किसी प्रकार का कोई अभाव नहीं रहता और सभी क्षेत्रें में निरन्तर उन्नति करता रहता है।
मातृ स्वरूपा भगवती महाकाली मानव जीवन के आध्यात्मिक व भौतिक दोनों ही पक्षो से सम्बन्धित हैं। सौम्य रूप में भगवती साधक जीवन का पालन-पोषण ، अभिवृद्धि के सभी उपाय करती हैं ، वहीं उग्र रूप में सभी नकारात्मक पक्ष का संहार कर प्रगति व साधना सिद्धि का मार्ग प्रशस्त करती हैं। आद्या शक्ति कलुषिता संहारिणी महाकाली दीक्षा से साधक जीवन की आधि-व्याधि ، कलुषिता ، दुःख ، पीड़ा ، धनहीनता ، सर्व शत्रुओं का संहार करती है। जिससे सांसारिक जीवन में सृजन शक्ति विस्तार कर साधक गृहस्थमय धन लक्ष्मी की वृद्धि करती है। साधको के पारिवारिक जीवन में कुशलता व मंगलमय चेतना आप्लावित होती हैं। वर्तमान परिदृश्य में नित्य आने वाली बाधाओं ، रूकावटों के निस्तारण हेतु सभी साधकों को ऐसी दिव्यतम चेतना से आप्लावित होना ही चाहिये।
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