वैसे विपरीत शनि होने पर मनुष्य उन्माद ، रोग ، अकारण क्रोध ، वात रोग ، स्नायु रोग इत्यादि से ग्रसित हो सकता है। शनि जीवन में आकस्मिकता की स्थिति लाता है और जीवन में जितनी भी आकस्मात् घटनाये होती है चाहे अच्छे फल फल की तरह अथवा अथवा फल की ओर ، उनका मूल कारक शनि ही है। शनि की पूजा जप साधना और मंत्र द्वारा इसे तीव्रता से अनुकूल बनाया जा सकता है। तब शनि ग्रह व्यक्ति को रंक से राजा बना देता है। जितने भी राजनीति में उच्च स्थान पर पहुँचते हैं उनका शनि प्रबल होता है। परिवार में भी शनि प्रधान व्यक्ति का वर्चस्व रहता है।
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