धूमावती दीक्षा प्राप्त होने से साधक का शरीर मजबूत व सुदृढ़ हो जाता है। जन्म और मृत्यु के बीच में संघर्ष करना भी मानव जीवन का एक सत्य है। कहने का तात्पर्य है मानव जीवन में अनेकों प्रकार की बाधायें हैं। जैसे कि स्थान बाधा ، पितृ बाधा ، ग्रह बाधा ، भूत-प्रेत ، पिशाचक बाधा ، पूर्व जन्म कृत पाप ، श्राप दोष जनित बाधा ، रोग-ऋण ، शत्रु बाधा आदि। इन्हीं बाधाओं के कारण कोई भिखारी बन जाता है तो कोई समृद्ध बन जाता है और मानव जीवन में इतनी अधिक विभिन्नतायें है। इस दीक्षा के प्रभाव से यदि किसी प्रकार की बाधायें आदि हो ، तो वह भी क्षीण हो जाती है। इस दीक्षा को प्राप्त करने के बाद मन में अद्भूत साहस का संचार होता है। इस दीक्षा को प्राप्त करने के उपरान्त हमारे जीवन के बाधाओं का अंत होता है। इन बाधाओं से संघर्ष करने हेतु पूर्ण ज्ञान चेतना और शक्ति की आवश्यकता होती है। जिससे हम जीवन में निरन्तर सफलता प्राप्त कर सके।
لا يفتح سر العديد من الإجراءات العليا للتانترا أمام الباحث إلا بعد هذا البدء. لهذا السبب ، يعتبر Dhumavati Diksha الأفضل في Tantra Shastra.
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